अखबार ने दावा किया है कि बीजेपी के एक सांसद ने 19 मई की रात को गाजियाबाद में कुमार विश्वास के घर पर उनसे मुलाकात की। इस दौरान आप नेता को बीजेपी के समर्थन के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का ऑफर दिया गया। आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने आज तक को बताया कि 19 मई की रात को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी कुमार विश्वास मिले थे। हालांकि मनोज तिवारी ने इससे इनकार किया है।
कुमार विश्वास ने अखबार को बताया, ’19 मई की रात 10.30 बजे बीजेपी सांसद मेरे घर पर आए। दोस्त होने की वजह से मैंने उनसे मुलाकात की। वह सुबह 3.30 बजे तक मेरे घर पर ही थे। वह चाहते थे कि दिल्ली बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिले। इसके लिए उन्होंने मुझे मनाने की कोशिश भी की। सीएम पद का ऑफर तक दिया। उस शख्स ने यह भी दावा किया कि संगठन के कहने पर ही वह मुझसे मिल रहे हैं। 12 आप विधायक जो फिर से चुनाव के पक्ष में नहीं हैं, इस प्रस्ताव का समर्थन करने को तैयार हैं।
कुमार विश्वास ने अखबार से कहा, ‘मुझे कहा गया कि अगर मैं इस ऑफर से सहमत हूं तो मुझे तुरंत ही अशोका होटल चलना होगा। जहां पर इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने के लिए उचित व्यक्ति से मुलाकात होगी। लेकिन मैंने इस ऑफर को ठुकरा दिया। आप नेता ने यह भी बताया कि उन्होंने इसकी जानकारी तुरंत अपनी पार्टी को दे दी। हालांकि कुमार विश्वास ने निजी रिश्तों का हवाला देते उस बीजेपी सांसद के नाम का खुलासा नहीं किया। लेकिन उन्होंने यह जरूर बताया कि वह सांसद दिल्ली से है।
बीजेपी ने कुमार विश्वास ने इन दावों को खबरों में बने रहने की एक और कोशिश करार दिया. बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और दिल्ली से विधायक आरपी सिंह ने कहा, ‘अब वह इसका जिक्र क्यों कर रहे हैं? मैं भी ये दावा कर सकता हूं कि अरविंद केजरीवाल मेरे घर आए थे और मुझे सीएम बनाने का ऑफर दिया था. यह सिर्फ खबरों में बने रहने की एक और कोशिश है। कुमार विश्वास को उस सांसद का नाम बताना चाहिए।
आपको बता दें कि कुमार विश्वास दिल्ली से विधायक नहीं हैं। वह लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट पर राहुल गांधी के खिलाफ मैदान में उतरे थे। यहां पर उनकी करारी हर हुई। संविधान के मुताबिक कोई भी शख्स मुख्यमंत्री बन सकता है। हालांकि शपथ ग्रहण के 6 महीने के अंदर उसे विधान मंडल के किसी भी सदन का सदस्य बनना होगा।
गौरतलब है कि 49 दिनों के बाद ही मुख्यमंत्री पद से अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू है। लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली में कई बार फिर से सरकार बनाने की सुगबुगाहट हुई। इस दौरान सभी पार्टियां एक-दूसरे पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाती रही हैं।