नई दिल्ली: 500-1000 के नोटों पर लगाये गये बैन केंद्र सरकार पर भारी पड़ सकता है। जानकारों की माने तो देश भर में पांच सौ और हजार रुपये के लगभग 2500 हजार करोड़ से ज्यादा के नोटों को वापस लिया जाएगा और जिसके बाद इनकी जगह नई करेंसी फ्लो की जाएगी। एक नए नोट को छपने में लगभग प्रति नोट औसत की खर्च चार रुपये है। इस हिसाब से लगभग आठ हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च सरकार को झेलना पड़ेगा।
जैसा की मंगलaवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए पांच सौ और हजार के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। जिसके बाद उन्होंने इसके पीछे कारण बताया कि सीमा पार से हो रही नकली नोटों की सप्लाई के अलावा कालेधन पर लगाम लगाने का तर्क दिया गया। इस सूचना के बाद से पूरे देश में खलबली मच गई।
वहीं आम आदमी को इस फैसले से समस्या तो हो रही है लेकिन कुछ लोगो का मानना है कि यह फैसला अच्छा है। आरबीआई के एक अधिकारी की मानें तो दो हजार के और पांच सौ के जो नोट छपकर वितरित किए जा रहे हैं, उनका औसत खर्च लगभग चार रुपये है। देश भर में करीब ढाई हजार करोड़ से ज्यादा नोट हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री के आदेश के बाद बदलना पड़ेगा। ऐसे में कम से कम दो हजार करोड़ नोट बाजार में झोंकने पड़ेंगे।
यह संख्या बदले जाने वाले नोटों से कम इसलिए है, क्योंकि अब हजार की जगह दो हजार का नोट प्रचलित होगा। इस तरह सरकार को करीब आठ हजार करोड़ रुपये का झटका लगेगा। हालांकि नए नोटों को सिक्योरिटी फीचर्स के लिहाज से और मजबूत किया गया है, जिससे हाल-फिलहाल नकली करेंसी छापना मुमकिन नहीं होगा।