कालाधन मुद्दे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने भी अपनी आवाज़ बुलंद कर दी है. कांग्रेस ने सरकार को चुनौती दी है कि वह पूरी सूचना के साथ सामने आए और पार्टी व्यक्ति से ऊपर है. यही नहीं, कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार ब्लैकमेल करने का हथकंडा अपनाना बंद करे.
केंद्र सरकार अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में विदेश में काला धन जमा करने वालों के नाम उजागर करने जा रही है। केंद्र की तरफ से 27 अक्टू बर को सप्लीमेंट्री एफिडेविट फाइल की जाएगी, जिसमें 136 खाताधारकों के नाम बंद लिफाफे में दिए जाएंगे। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है।
वित्तमंत्री जेटली के अवैध विदेशी खाताधारकों के नाम का खुलासा करने से विपक्षी पार्टी के शर्मसार होने संबंधी बयान देने के एक दिन बाद कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने कहा कि सरकार को ‘अर्द्धसत्य’ और ‘चुनिंदा लीकेज’ से बचना चाहिए। माकन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘कांग्रेस ऐसी किसी धमकी से ब्लैकमेल होने वाली नहीं है। हमें ब्लैकमेल करने का प्रयास नहीं करें। जो भी संलिप्त पाया जाए, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन यह बदले की भावना से प्रेरित नहीं होना चाहिए और यह आधा सच नहीं होना चाहिए।’
कालाधन के मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच वाक्युद्ध की स्थिति आ पहुंची है। सरकार ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय को बताया था कि वह स्विस बैंक खाताधारकों के नामों का खुलासा नहीं कर सकती। संप्रग सरकार ने भी इससे पहले ऐसा ही रुख अपनाया हुआ था।
जब कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर इस मुद्दे को लेकर ‘पाखंड करने’ का आरोप लगाया तो मंगलवार को जेटली ने कहा ‘नाम (कालेधन के खाताधारकों के नाम) जल्दी ही सार्वजनिक कर दिए जाएंगे। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जब नाम सार्वजनिक किए जाएंगे, तब मुझे (भाजपा को) कोई शर्मिंदगी नहीं होगी। इन नामों की वजह से कांग्रेस पार्टी को जरूर कुछ शर्मिंदगी होगी। जेटली के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माकन ने कहा, ‘कांग्रेस को ब्लैकमेल करने की आवश्यकता नहीं है। उनके पास जो भी नाम हैं उसका उन्हें खुलासा करना चाहिए और उन्हें सरकार की तरह कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें हमें ब्लैकमेल करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।’
माकन ने कहा, ‘हम उन्हें यह भी कहना चाहते हैं कि वे नामों की संख्या को 136 लोगों तक सीमित न करें। हम भाजपा और प्रधानमंत्री को बताना चाहते हैं कि अर्द्धसत्य, सत्य नहीं होता है। उन्हें चुनिंदा और दुर्भावना से प्रेरित खुलासे नहीं करने चाहिए। उन्हें सभी नामों के साथ सामने आना चाहिए। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कहा था कि यदि कालाधन वापस लाया जाता है तो हर नागरिक को 15 लाख रुपये मिलेंगे जबकि गृहमंत्री राजनाथ सिंह (जो तब भाजपा अध्यक्ष थे) ने 100 दिन के भीतर कालाधन वापस लाने का वादा किया था।
माकन ने कहा, ‘लोगों को नामों के बारे में दिग्भ्रिमित मत कीजिए। देश की जनता नामों के इस जाल में फंसने वाले नहीं हैं। देश की जनता इस बात का इंतजार कर रही है कि सरकार कब कालाधन वापस लेकर आती है। 100 दिन पहले ही बीत चुके हैं। अब तो 150 दिन होने वाले हैं और एक पैसा भी वापस नहीं आया है। उन्होंने कहा, ‘मैं और देश की जनता इंतजार में हैं कि कब हमारे खातों में मोदी जी के वादे के अनुसार 15 लाख रुपये आएंगे।’
बताया जा रहा है कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बीच हुई चर्चा के बाद लिया गया है। पहली लिस्ट में कुल 800 नामों में से उन 136 का खुलासा किया जाएगा, जिन्हें यूरोपियन देशों की सरकारों ने उपलब्ध कराया है। यह लिस्ट बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी, जिसके बाद कोर्ट तय करेगा कि ये नाम कब और किस तरह उजागर किए जाने हैं और किससे कितना टैक्स वसूलना है। बताया जा रहा है कि स्विटज़रलैंड और अन्य सरकारों ने दोहरी कर संधि के बावजूद खाताधारकों के नाम उजागर करने की अनुमति दे दी है। सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार के पास ऐसे खाताधारकों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाकर स्विस बैंकों में बड़ी रकम जमा कर रखी है।