दिल्ली के कथित आबकारी घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में बुधवार को यहां की एक विशेष अदालत में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर बहस हुई. सिसोदिया को इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया है. जांच एजेंसी की दलील पूरी होने के बाद अब राउज़ एवेन्यु कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को दोपहर 2 बजे होगी. अगली सुनवाई पर सिसोदिया के वकील ईडी की दलील पर अपना पक्ष रखेंगे.
ED ने कोर्ट में कहा कि षड्यंत्र रचने, पॉलिसी बनाने और उसे लागू कराने में मनीष सिसोदिया की अहम भूमिका रही है. जांच एजेंसी ने कहा कि वह जीओएम के मुखिया थे और उनको ना सिर्फ कैबिनेट के बारे में सारी जानकारी थी, बल्कि पॉलिसी के बदलाव में भी वे मुख्य भूमिका में थे. ईडी ने कहा कि पॉलिसी में फायदा पहुंचाने के बदले घूस ली गई.
एजेंसी ने कहा कि एक व्यक्ति को सिर्फ दो रिटेल लाइसेंस मिल सकता था और इसके लिए लॉटरी सिस्टम को अपनाया जाना था, सभी ज़ोन में 27 दुकानें थीं. ईडी ने कोर्ट को बताया कि पॉलिसी में बदलाव के बारे में जीओम या एक्सपर्ट कमेटी को जानकारी नहीं थी, अगर तय प्रक्रिया के तहत बदलाव किया गया होता, तो इसके बारे में जीओम या एक्सपर्ट कमेटी को जानकारी होती. ईडी ने कहा कि कोई भी पॉलिसी छुप कर नहीं बनाई जाती है, दिन के उजाले में सबकी जानकारी में नीतियां बनाई जाती हैं.
इस पर सिसोदिया के वकील ने आरोप लगाया गया कि जिन अधिकारियों के बयानों पर भरोसा किया गया वो सीधे उपराज्यपाल के नियंत्रण में हैं. ईडी के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि जब उन अधिकारियों की एसीआर जो संबंधित मंत्री और सीएम द्वारा तैयार किए जाते हैं और उन्हें 10 में 10 नंबर इन्हीं मंत्री और सीएम की तरफ से दिए गए हैं. ईडी ने कहा कि साजिशें गोपनीयता में रची जाती हैं, जबकि नीतियां सार्वजनिक रूप से बनाई जाती हैं और साजिश के सभी तत्व यहां मौजूद हैं.
ED ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री सिसोदिया को नौ मार्च को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था जहां वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के एक अन्य मामले के संबंध में पहले से ही बंद थे. सीबीआई ने आप नेता सिसोदिया को अब रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था.