मेंगलुरु (कर्नाटक) : कैफे कॉफी डे के फाउंडर और पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के दामाद वीजी सिद्धार्थ की लाश सुबह मेंगलुरु की नेत्रावती नदी में मिली। वे सोमवार से लापता थे। इसके बाद से ही नदी में सर्च अभियान चलाया जा रहा था। सिद्धार्थ का 27 जुलाई का पत्र सामने आया था। इसमें इक्विटी पार्टनर और कर्जदाताओं के दबाव का उल्लेख था। पिछले कुछ सालों से सिद्धार्थ कॉफी बिजनेस समेत अन्य कारोबारों में नकदी संकट से जूझ रहे थे। 2 साल पहले उनके ठिकानों पर आयकर विभाग के छापे भी पड़े थे।
60 वर्षीय सिद्धार्थ ने मेंगलुरु जाते समय नेत्रावती के पुल पर कार रुकवाई और ड्राइवर को कहा कि वे वॉक पर जा रहे हैं। जब 2 घंटे तक लौटे नहीं तो ड्राइवर ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद से ही उनके आत्महत्या करने की आशंका जताई जा रही थी।
खबरों के अनुसार कॉफी-डे ग्लोबल की होल्डिंग फर्म कॉफी-डे एंटरप्राइजेज पर इस साल मार्च तक 6,550 करोड़ रुपए का कर्ज था। यह रिपोर्ट भी है कि माइंडट्री में सिद्धार्थ द्वारा अपनी हिस्सेदारी बेचने के बाद कर्ज काफी कम हो गया था। सिद्धार्थ ने पिछले दिनों आईटी कंपनी माइंडट्री में अपनी पूरी 20.4 प्रतिशत हिस्सेदारी 3,000 करोड़ रुपए में लार्सन एंड टूब्रो को बेच दी थी।
इस साल मार्च तक देश के 200 शहरों में कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के 1,752 कैफे थे। पहला कैफे 1996 में बेंगलुरु में ब्रिगेड रोड पर खोला था। भारत के बाहर पहला कैफे 2005 में ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में खोला गया था। ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक और मलेशिया में भी कंपनी का बिजनेस है। सीसीडी हर साल 28 हजार टन कॉफी एक्सपोर्ट करती है। 2 हजार टन देश में बेचती है। देशभर में कंपनी में करीब 30 हजार कर्मचारी हैं। सिद्धार्थ ने सीसीडी के अलावा हॉस्पिटेलिटी चेन भी शुरू की थी। इसके तहत 7-स्टार रिसॉर्ट का संचालन किया जाता है।
आपको बता दें कि 20 ठिकानों पर मारे थे छापे : इंकम टैक्स विभाग ने 2017 में सिद्धार्थ के 20 ठिकानों पर छापेमारी की थी। तब से परेशानियां और बढ़ती गईं। यह सिलसिला इस साल भी जारी रहा। आयकर विभाग ने बकाया टैक्स की मांग करते हुए उनके शेयर अटैच कर दिए थे।