ग्लोबल वार्मिंग के चलते एनवायरमेंट फ्रेंडली और ग्रीन बिल्डिंग का कॉन्सेप्ट भी बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट सेक्टर में बूम ने आर्किटेक्चर के क्षेत्र में आपार संभावनाओं के दरवाजे खोल दिए हैं। इंफ्राज्ञट्रक्चर के विकास की वजह से स्पेशल इकॉनोमिक जोन, मॉल्स, फ्लाईओवर, हाउसिंग सोसायटीज का काम भी जोरों पर है। आर्किटेक्चर की भूमिका को हम यहीं तक सीमित नहीं कर सकते। भूकंप, सुनामी जैसी आपदाओं से अपने शहर और घर को बचाने में भी आर्किटेक्चर का दिमाग शामिल होता है। आंकड़ों की माने तो 2010 तक भारत में आर्किटेक्चर की संख्या 60 हजार के आंकड़ों तक पहुंच चुकी थी। यही नहीं, इनमें से तकरीबन 46 प्रतिशत पुरूष आर्किटेक्ट ऐसे हैं, जो खुद का काम कर रहे हैं। इनमें 25000 आर्किटेक्ट 26 से 30 साल के बीच के हैं। इनके साथ आर्किटेक्चर पढ़ाने वाले संस्थानों की संख्या भी बढ़ रही है। किसी आर्किटेक्ट की काबलियत इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस तरह बिल्डिंग विशेष में जान डालते हैं। यह एक तरफ से आर्ट, साइंस और क्रिएटिविटी का अनूठा संगम है। अगर आप भी किसी बिल्डिंग के खिड़की, दरवाजों से अपनी काबलियत बयां कर सकते हैं तो इस करियर में ऊंचाइयां आपका बाहें फैला कर इंतजार कर रही है।
आर्किटेक्चर की पढ़ाई
आर्किटेक्चर की पढ़ाई में किसी भी बिल्डिंग की प्लानिंग एवं डिजाइनिंग जैसी बातों का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा अन्य कंस्ट्रक्शन जैसे हॉस्पिटल्स , इंठस्ट्रियल यूनिट्स, आवासिय भवन, मल्टीप्लेक्स, स्कूल, एयरपोर्ट्स, मॉल्स जैसी ऊंची इमारतों को एक सही आकार प्रदान किया जाता है। आर्किटेक्ट का काम यहीं खत्म नहीं होता। इसमें प्लानिंग, निष्कर्ष, डिजाइन, सावधानियां, कॉस्ट मैनेजमेंट, जांच-पड़ताल एवं क्वालिटी जैसे काम भी शामिल हैं। आर्किटेक्चर को इमारत या अपने निर्माण स्थल का एक नक्शा तैयार करना होता है।
अगर आाप अपने काम में परके क्शन लाना चाहते हैं। तो तस्वीर बनाने के लिए अधिक जटिल परियोजनाओं के रेखांकन और थ्री-डी मॉडल भी तैयार कर सकते हैं इसके अलावा लाइट फिटिंग, वेन्टीलेशन की व्यवस्था और कभी – कभी भूतल निर्माण, साज-समान तथा आंतरिक सजावट की योजना के चित्र अलग में तैयार करने पड़ते हैं। आर्किटेक्चर को यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि उसकी योजना में अग्निशमन नियमों, भवन निर्माण संबंधी कानूनों और अन्य आवश्यक बातों का उल्लेघन न हो।
हुनर जो आपमें होने चाहिए
अगर आपके हाथ में कल्पना करके तस्वीरे बनाना, अपने कार्य पर ध्यान लगाना व गणना करना विश्लेषणात्मक व रचनात्मक जैसी खूबियां मौजूद है तो आपको एक आर्किटेक्चर बनने से कोई नहीं रोक सकता है।
आपके स्पेशलाजेशन क्षेत्र
आप एक सफल आर्किटेक्ट बनना चाहते हैं तो आपकों बीआर्क के बाद इनमें से किसी एक क्षेत्र में दक्षता हासिल करनी होगी।
आर्किटेक्चरल डिजाइन
इंडस्ट्री और टेक्निकल प्रोडक्शन आज एक उभरता क्षेत्र है। जाहिर है, इसमें काफी समस्याएं भी हैं। इस क्षेत्र के अंतर्गत आपको इसके डिस्ट्रिब्यूशन पहलुओं एवं तकनीकी उत्पादकता में जुड़ी समस्याओं को समझाया जाता है। इसके बाद आप उद्योग, डिजाइन या आर्किटेक्चरल स्टूडियो में काम कर सकते हैं या अपनी डिजाइन एवं आर्किटेक्चर फर्म शरू कर सकते हैं।
अर्बन डिजाइन
इसमें आपको नगरों के ढांचे और उनके डिजाइन की समस्याओं को सुलझाने वाले सभी विषयों से अवगत कराया जाता है। आप नगर प्र्यावरण की डिजाइन स्किल्स बढ़ा कर अपने मनपसंद क्षेत्र में बढ़ सकते हैं।
एनवायरमेंट डिजाइन
ग्लोबल वार्मिंग आज एक बड़ी समस्या है। यही वजह है कि वातावरण प्लालिंग जैसे विषय में महारत हासिल कर अपने करियर में चार चांद लगा सकते हैं। ग्रीन बिल्डिंग और ईको-फ्रैंडली बिल्डिंग आज वक्त की जरूरत बनते जा रहे हैं। इसमें शहरों को वातावरण के अनुकूल विकास करने की योजना बनाना यिखाया जाता है। यही नहीं, डिजाइन, प्रभाव मूल्यांकन तथा वातावरण डिजाइन की अलग समस्याओं को सुलझाने की भी जानकारी दी जाती है।
हाउसिंग
भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बाद आज क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण हो गया है। इसके अंतर्गत आवासिय नीतियां, कार्यक्रम, आवास वित्त, मूल संपदा विकास एवं हाउसिंग मार्केट, आपदा प्रभावित क्षेत्रों में घर सहित कई विषयों को शामिल किया जाता है। यही नहीं, इससे जुड़ी रिसर्च भी आपके काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।
ट्रासपोर्ट प्लानिंग
ट्रैफिक की समस्या से बचने के लिए बीआरटी कॉरिडोर जैसे उपाय सामने आ रहे हैं, इसलिआप ट्रांसपोर्ट प्लानिंग में भी महारत हासित कर सकते हैं। इसमें ट्रांसपोर्ट योजना, परिवहन मॉडलिंग, यातायात प्रभाव मल्यांकन जैसी चीजें शामिल हैं।
रीजनल प्लानिंग
अगर आप रहने की छोटी – सी इकाई से लेकर बड़े क्षेत्रों में गतिविधियों के वित्तिय रूपांतरण एवं प्रतिपादन, आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय उदेश्यों के बारे में सीखना चाहते हैं तो रीजनल प्लानिंग में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।
अर्बन प्लानिंग
इसके तहत किसी शहर में अवास के भौतिक, सामाजिक, आर्थिक व पारिस्थितिक एंगल से विश्लेषण से विश्लेषण किया जाता है और साथ में इससे जुड़ी हर समस्या का समाधान करने में आपको स्पेशलाइज्ड कराया जाता है।
बिल्डिंग इंजिनियरिंग एंड मैनेजमेंट
इसके अंतर्गत योजना अनुसूचि का विकास, भवन परियोजनाओं को निर्धारित समय में लागत एवं उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करना शामिल है। इसके लिए आपको ट्रेनिंग कार्यक्रम के आंतरिक भाग के तौर पर विभिन्न केस स्टडीज द्वारा व्यावहारिक पहलुओं पर विशेष फोकस कराया जाता है।
लैंडस्केप आर्किटेक्चर
आर्किटेक्ट भौतिक प्र्यावरण के विभिन्न पहलुओं के डिजाइन, प्रबंध एवं योजना बनाने जैसे काम भी करते हैं, इसलिए इसमें सामाजिक – आर्थिक एवं सांस्कृतिक विचारों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन तकनीकों में कौशल प्रदान किया जाता है।
ऑब्जरवेशन की क्षमता है तो आर्किटेक्ट बनें
आर्किटेक्चर और इंजिनियरिंग दोनों में काफी फर्क है। आर्किटेक्चर की कभी भी इंजीनियरिंग से तुलना नही करनी चाहिए। एक आर्किटेक्ट के काम में फिजिकल एप्लिकेशन ज्यादा शामिल होती है। उसे कोर्स के दौरान और कोर्स के बाद अपने काम में ज्यादा भागदौड़ करनी पड़ती है। टेस्ट और एस्थेटिक सेंस्टिविटी टेस्ट का कॉम्बिनेशन होता है, जिसका उद्देश्य आर्किटेक्चर अवेयरनेस के साथ-साथ परफेक्शन, इमेजिनेशन, आफब्जर्वेशन, क्रिएटिविटी और कम्यंनिकेशन को जांचना है। इससे पता चलता है कि आप में स्केच करने की कितनी क्षमता है। अगर आपकी स्ट्रांग पर्सनेलिटी है, लोगों से बात करने की क्षमता और अपने परिवेश में बहुत कुछ ढूंढ निकालने की यानि ऑब्जरवेशन की क्षमता है तो आप एक बेहतर आर्किटेक्ट बन सकते हैं।