सेमिनार, कॉन्फ्रेंस, सिलेब्रिटी पार्टियां, फैशन शोज, बर्थडे पार्टियां, प्रोडक्ट लॉन्च, प्रदर्शनी, पुरस्कार समारोह, कॉर्पोरेट सेमिनार, शादियां अथवा संगीत समारोह, यानी सब कुछ मैनेजमेंट के दायरे में आ चुका है।
इन सारे आयोजनों को समय, बजट, टीम, स्पेस इत्यादी के मुताबिक सफलतापूर्वक आयोजित करना ही ईवेंट मैनेजमेंट कहलाता है। ईवेंट मैनेजमेंट के केन्द्र में ईवेंट मैनेजर होता है, जो इससे जुड़े सभी पहलुओं को प्रबंधन के तार से बांध कर आयोजन को सफल बनाता है। ईवेंट मैनेजमेंट आज एक बेहतरीन प्रोफेशन के तौर पर अपनी जगह बना चुका है।
एक दशक पहले शुरू हुए इस करियर में प्रतिवर्ष 100 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है। दिल्ली, मुंबई, जयपुर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, चंडीगढ़ जैसे महानगरों में 5 हजार से अधिक ईवेंट मैनेजमेंट कंपनियां काम कर रही हैं और दिनोंदिन इनका विस्तार हो रहा है। एक ईवेंट मैनेजर या ईवेंट मैनेजमेंट की कामयाबी किसी ऐसी नायाब थीम पर निर्भर करती है, जिसके बारे में पहले न सोचा गया हो।
ईवेंट मैनेजर से उम्मीद की जाती है कि वह क्लाइंट की जरूरत और लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए खास अवसर के लिए रूपरेखा बनाए, कार्यक्रम की योजना तैयार करे, विभिन्न एजेंसियों से सम्पर्क करे, विभिन्न सरकारी विभागों से अनुमति प्राप्त करे, मंच के डिजाइन की कल्पना करे और कार्यक्रम के लिए मीडिया प्रमोशन का प्रबंध करे।
कार्यप्रकृति
ईवेंट मैनेजमेंट के तहत मूल रूप से दो शाखाएं होती हैं। पहली लॉजिस्टिक मैनेजमेंट, जिसके अंतर्गत समारोह स्थल, सिलेब्रिटी, दर्शक, कार्यक्रमों का प्रचार इत्सादी का प्रबंधन शामिल है। दूसरी मार्केटिंग, जिसमें सबसे पहले बजट बनाना, क्लाइंट से एप्रूवल लेना, प्रयोजक तलाशना इत्यादी शामिल है।
ईवेंट मैनेजमेंट मार्केटिंग और एडवर्डटाइजिंग से बहुत हद तक जुड़ा हुआ है। दूर से यह प्रोफेशन ग्लैमर से जरूर भरा-पूरा दिखता है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। आप चाहे किसी ईवेंट मैनेजमेंट कंपनी में नौकरी कर रहे हो या स्वतंत्र रूप से काम, आपको ईवेंट के हर पहलू पर पैनी नजर रखनी होगी। ईवेंट विशेष के कॉन्सेप्ट को समझना होगा। उसे विजुलाइज करना होगा, प्लानिंग करनी होगी, बजटिंग पर ध्यान देना होगा, विज्ञापन कहां से आना हैं, कहां पब्लिश करवाना है, बैनर-होर्डिंग कहां-कहां लगवाने हैं, प्रायोजक कौन हो सकता है, गेस्ट कौन होंगे, खाने-पीने से लेकर हर छोटी-बड़ी बातों का ध्यान एक ईवेंट मैनेजमेंट कंपनी को बहुत बच्छे से रखना होता है।
कैसे करें वर्कआउट
इस फील्ड में काम की बारीकियां समझने और उसे ग्रहण करने की क्षमता ही आपकी तरक्की का रास्ता साफ करेगी। मार्केट के मिजाज को समझना होगा। प्रोपोजल तैयार करना होगा। उस प्रोपोजल में उस ईवेंट से संबंधित जरूरी बातों का उल्लेख जरूर होना चाहिए।
वेन्यू, इन्विटेशन, कैटरिंग, लाइटिंग,हॉस्पिटैलिटी एंड गेस्ट मैनेजमेंट, डेकोरेशन से लेकर वीडियोग्राफी, सिक्योरिटी से लेकर ऑथोरिटी तक सभी कुछ का उल्लेख होना जरूरी है। थोड़ी सी भूल-चूक उस ईवेंट को फीका कर सकती है।
कोर्स
प्रमुख कोर्स हैं- डिपलोमा इन ईवेंट मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन ईवेंट मैनेजमेंट, एडवांस्ड डिप्लोमा इन ईवेंट मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन ईवेंट मैनेजमेंट एंड पीआर और एमबीए पाठक्रम भी उपलब्ध हैं। इन पाठक्रमों के तहत ईवेंट ब्रांडिंग, ईवेंट ब्रीफ राइटिंग, प्रोडक्शन एवं तकनीक, सिलेब्रिटी और आर्टिस्ट मैनेजमेंट, मीडिया मैनेजमेंट, क्रिएटिविटी, स्पौन्सरशिप, पब्लिक रिलेशन, मार्केटिंग जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं।
तक्की की संभावनाएं
इस क्षेत्र में काम की बारीकियां समझने और ग्रहण करने की आपकी क्षमता आपकी तक्की का रास्ता साफ करेगी। इसमें क्लाइंट की संतुष्टि बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस प्रोफेशन में आप एग्जिक्यूटिव से करियर शुरू करके मैनेजर तक पहुंच सकते हैं। अब तो मिडिया प्लानिंग, विज्ञापन और मार्केटिंग से जुड़े किसी भी बड़े कैम्पेन में कोई न कोई ईवेंट जरूर जुड़ा रहता है। ईवेंट्स की पहुंच सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रह गई है। स्माॅल सिटीज, कस्बों और गांवों तक विस्तार होने लगा है, इसलिए यह फील्ड युवाओं के लिए बेहतर हो सकती है। इसमें संभावनाएं ही संभावनाएं हैं।
किन लोगों को इस फील्ड में आना चाहिए
फील्ड में कोई भी किस्मत आजमा सकता है। आज इस फील्ड में हर क्षेत्र का व्यक्ति आ रहा है। क्या आपको लगता है कि यह फील्ड कुछ ज्यादा ही अनिरिूचतताओं से भरी हुई है? ग्लोबल सिविलाइजेशन के चलते आज गांव में भी लोग इससे वाकिफ होने लगे हैं। उन्हें पता है कि फलां आदमी महिन्द्रा ट्रैक्टर को प्रोमोट करने आया था। कंपनियां गांव के मर्म और शहर की ऊंचाईयों को समझने लगी हैं।
ईवेंट्स मैनेजमेंट का फलक काफी बड़ा है। अब यह उधोग की शक्ल अख्तियार कर चुका है। पहले सिर्फ गिने-चुने आयोजन ही होते थे, लेकिन आज कई स्तरों पर ईवेंट्स और कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। बड़ी उत्पादक कंपनियां अपने नए प्रोडक्ट्स को मार्केट में उतारने और काॅर्पोरेट जगत में अपनी पहचान बनाने, किसी प्रोडक्ट की बिक्री बढ़ाने के लिए ईवेंट्स करवाती हैं। इनमें सेमिनार, प्रेस काॅन्फ्रेंस, सौंदर्य प्रतियोगिता, क्रिकेट मैच, लेजर बीम शो, डांस व मूवी शो शामिल हैं। कार्यक्रमों के अधिक से अधिक टिकट बेचने, उसे लोकपप्रिय बनाने व लाभ कमाने की रूपरेखा भी कई बार ईवेंट मैनेजमेंट कंपनियां ही तैयार करती हैं, इसलिए यह कहना कि यह फील्ड अनिश्चितताओं से भरा है, गलत होगा।
योग्यता
जैसे-जैसे यह प्रोफेशन बढ़ रहा है, इसमें विशेषज्ञता की जरूरत महसूस होने लगी है और यही कारण है कि बाकायदा इसकी पढ़ाई होने लगी है। किसी भी संकाय से 50 प्रतिशत अंको के साथ 12 वीं पास होना आनिवार्य है, तभी आप डिप्लोमा व डिग्री में एडमिशन के पात्र बन सकते हैं। इस क्षेत्र से जुड़ने के लिए लीडरशिप क्वालिटी, मार्केटिंग, ब्रांडिंग, विनम्र स्वभाव का होना जरूरी है।
नौकरी के अवसर
हर कंपनी, इंस्टीटूशन में एक पब्लिक रिलेशन विभाग होता है। ईवेंट मैनेजमेंट भी इसी के तहत आता है। किसी कंपनी में नौकरी कर या फिर खुद की ईवेंट मैनेजमेंट कंपनी खोली जा सकती है। अब तो मिडिया, प्लानिंग, विज्ञापन और मार्केटिंग से जुड़े किसी भी बड़े कैम्पेन में कोई न कोई ईवेंट जरूर जुड़ा रहता हैं। बात चाहे वर्लड कप की हो या फैशन वीक की, एक ईवेंट मैनेजर कुशलतापूर्वक इसे अंजाम तक पहुंचाता है।
सेलरी
इस क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले उम्मीदवारों को बढि़या सेलरी मिलती है। अगर किसी उम्मीदवार के पास डिग्री हो तो उसकी शीघ्र तरक्की के अवसर बढ़ जाते हैं। बेशक करियर की शुरूआत में उम्मीदवार को 10 हजार रूपये ये लेकर 15 हजार रूपये तक सेलरी मिलती है, लेकिन इसके बढ़ने के व्यापक अवसर मौजूद हैं। मेहतन और लगन से कार्य करें तो कुछ ही वर्षों में आप डेढ़ से दो लाख रूपये प्रति माह तक सेलरी पा सकते हैं।