इसकी महता को स्वीकारते हुए इसे चैथे स्तंभ (विधायिका) न्यायपालिका और कार्य पालिका के बाद का स्थान दिया गया। सही अर्थों में यह सबके बारे में सूचनाएं प्राप्त करता है। यह एक चुनौतिपूर्ण कार्य है। इसके लिए पत्रकारिता करने वाले को मेहनती, निडर, तेजतर्रार, कड़क, ईमानदारी, व सच्चाई का होना आवश्यक है। क्योंकि कलम की आबरू बचाने के लिऐ कूर्बानी तो देनी ही पड़ती है। पत्रकारिता करियर की नज़र से एक अच्छा विकल्प है।
योग्यता
वर्तमान में देश के अनेक विश्वविद्यालयों में गे्रजुयेट स्तर पर भी इसका अध्ययन शुरू हो गया है। बारहवी के बाद “बैचलर इन जर्नलिज्म” एक अच्छा करियर विकल्प है। यद्यपि अभी भी गे्रजुयेट के बाद एक वर्षीय और कहीं-कहीं द्विवर्षीय पी.जी. डिप्लोमा वाले कोर्स में अधिक भीड़ रहती है। इसके लिये सभी स्थानों पर प्रदेश परीक्षा के द्वारा नामांकन की व्यवस्था है। इस परीक्षा में बैठने के लिए आपको किसी भी संकल्प में गे्रजुयेट होना जरूरी है। साथ अनेक विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत अंक के साथ गे्रजुयेट होना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
पत्रकारिता और जनसंचार के पाठ्क्रम के अंतर्गत आपको निम्म विषयों का अध्ययन करना होता है।
पाठ्यक्रम
1. भाषा और साहित्य का अध्ययन
2. स्ंचार और पत्रकारिता का तकनीकी पहल
3. रिर्पोटिग, सम्पादन और फीचर लेखन
4. पत्रकारिता और प्रेम नियमावली
5. अंतराष्ट्रीय पत्रकारिता।
कार्य स्वरूप
वर्तमान में प्रिंट व इलैक्ट्रानिक मीडिया में व्यापक पैमाने पर पत्रकार कार्यरत हैं। इन क्षेत्रों में नियम समय पर अपने कार्यों पर अमल करना होता है।
1. भारतीय सूचना सेवा और राज्य सरकार की सूचना सेवाओं में कार्य के अच्छे अवसर हैं।
2. स्माचार एजैंसियों, आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि में कार्य करने के अवसर।
3. कारर्पोरेट पत्रिकाओं और पोर्टल (इंटरनेट) के लिये कार्य करना।
4. जनसम्पर्क पदाधिकारी के रूप में कार्य करना
5. किया उत्पाद विशेष अथवा कम्पनी के लिए मीडिया प्रमोशनल अभियान का संचालन करना।
6. उपयुक्त संभावनाओं के अतिरिक्त भी अनेक संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में इसके लिये पर्याप्त अवसर हैं।
पत्रकारिता के क्षेत्र में आपको कुछ वर्षों तक कड़ी मेहनत व संघर्ष करना पड़ेगा। किन्तु अनुभव प्राप्त होते ही आपको अनेक स्वर्णिम अवसर उपलब्ध हो जाते हैं। किसी भी संस्थान से डिग्री मिलने के बाद आपको प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में कार्य आरंभ करना पड़ता है। फिर आपकी रूचि और अनुभव के हिसाब से दायित्व सौपा जाता है। प्रिंट एवं इलैक्ट्रानिक दोनों माध्यमों में इसकी दो शाखाएं है। 1. फिल्डवर्क यानि रिर्पोटिंग तथ 2. डैस्क वर्क यानि किसर भी खबर के छपने अथवा प्रसारित होने से पूर्व उसे मांजना – भाषा से लेकर प्रस्तुति के स्तर पर एक मानक स्वरूप प्रदान करना दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। वैसे युवा मन रिर्पोटिंग के प्रति ज्यादा आकर्षित होता है। लेकिन इसमें शारीरिक परिश्रम खासकर इलेक्ट्रानिक मिडिया में और चुनौति व जोखिम भरा है। लेकिन श्रीमान जी सच प्रकट करना, लिखना, बोलना शूरवीरों का काम है। कायरों का नहीं।