क्योंकि इस फिल्ड से संबंधित प्रोफेशनल की मार्केट में खूब डिमांड है। यदि आपने ऐसे पाठयक्रमों में प्रवेश ले लिया और इस विधा का मन लगाकर अध्ययन कर लिया तो आपको मिलेगा सुनहरे करियर के साथ बेहतर सैलरी और सम्मान के साथ ही इलेक्ट्रानिक मीडिया तथा बॉलीवुड और टेलीविजन के लिए बनने वाले कार्यक्रमों में कार्य करने का अवस।
देश में पिछले कुछ वर्षों में न्यूज एवं मनोरंजन चैनलों के साथ प्रोडक्शन हाउसेज़ की बढ़ती संख्या ने इस फील्ड के प्रोफेशनल्स की डिमांड बढ़ा दी है। में बनने वाली फिल्मों की संख्या भी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। बड़ी संख्या में बनने वाले टीवी सीरियलों को बेहतर रूप देने के लिए अन्य प्रोफेशनल्स के साथ स्किल्ड एवं एक्सर्ट की डिमांड खूब खूब बढ़ी है। यदि आप में क्रिएटिव सोच है और आप इस स्किल को तराशना चाहते हैं तो यह एक ऐसी दुनियां है, जहां करोड़ों वर्ष पहले खत्म हो चुके डायनासोर का सिल्वर स्क्रीन पर पल भर में जीवित दिखा सकते हैं और इसमें एडिटिंग करके इसे और सुंदर दिखा सकते हैं। यह एक ऐसी दुनियां है कि जो आप सोचते हो, उसे आप स्क्रीन पर दिखा भी सकते हैं।
योग्यताएं:
देश में ऐसे कई संस्थान हैं जो यह कोर्स कराते हैं लेकिन इनमें से कुछ संस्थानों में 12 के बाद तो कुछ में स्नातन करने के उपरांत वीडियों एडिटिंग पाठयक्रम में प्रवेश दिया जाता है। संस्थानों में वीडियो एडिटिंग प्रमाण पत्र से लेकर डिग्री पाठयक्रम तक के कोर्स उपलब्ध हैं। सभी संस्थाओं में प्रवेश पाने का अपना अलग-अनलग मानक है।
कौन-कौन से हैं कोर्सः
दिनों दिन नये-नये चैनलों के आने से एवं फिल्मों, धारावाहिक तथा मीडिया इंडस्ट्री में ट्रेंड वीडियो धारावाहिकों तथा मीडिया इंडस्ट्री में ट्रेंड वीडियों एडिटर्स की डिमांड को देखते हुए इससे संबंधित कई कोर्स चलाए जा रहे हैं। नोएडा स्थित जागरण इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन में एडिटिंग में डिप्लोमा कार्स तथा तीन माह का सर्टिफिकेट कार्स संचालित किया जाता है। इसके अलावा एनलई का प्रशिक्षण मास कम्युनिकेशन और जर्नलिज्म कोर्स इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तहत भी दिया जाता है। इसके अलावा दिल्ली एनसीआर में कई ऐसे संस्थान हैं जहां एडिटिंग से संबंधित कोर्स संचालित किए जाते हैं। नॉन-लीनियर एडिटिंग में बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए कई संस्थान डिप्लोमा कोर्स संचालित कर रहे हैं।
करियर के विकल्पः
इस फिल्म के विशेषज्ञ ’बच्चा बाबू’ कहते हैं कि वीडियो एडिटर के रूप में प्रोडक्शन हाउसों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, विज्ञापन एजेंसियों में अच्छे पैकेज पर स्वतंत्र रूप में कार्य कर सकते हैं। स्किल्ड वीडियो एडिटर के लिए विदेशों में जॉब की कमी नहीं है। इस फिल्म के विशेषज्ञों को बेहतर सैलरी पर हाथों-हाथ लिया जाता है। वर्तमान दौर क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों एवं म्यूजिक एलबम का है। इसका बाज़ार तेजी से उभर रहा है। इसमें भी करियर की अपार संभावनाएं हैं। इसके अलावा अगर आपमें क्रिएटिविटी , दृश्यों को समझने और परफेक्ट साउंड मिक्सिंग की क्षमता है और मार्केट की डिमांड के अनुसार एडिटिंग सॉफ्टवेयर में परिपक्व हैं, तो कुछ ही समय में आप पैसा और नाम दोनों कमा सकते हैं।
अच्छा वेतनः
एक वीडियो एडिटर का पारिश्रमिक उसके अनुभव एवं विशेषज्ञता पर निर्भर होता है। शुरूआती दौर में इस फील्ड के कैंडिडेट्स को देश में प्रतिमाह 10,000 से लेकर 15,000 तक की नौकरी आसानी से मिल जाती हैं। अनुभव बढ़ने के साथ अम्यर्थी बेहतर पारिश्रमिक की उम्मीद कर सकता है। इसके अलावा प्रोडक्शन हाउसों में स्वतंत्र रूप से कार्य करके प्रति घंटा के हिसाब से अच्छी कमाई कर सकता है। एनएलई कोर्स करने और इसमें विशेषज्ञता हासिल करने के बाद निभिन्न चैनलों में आपके लिए दरवाजे हमेशा के लिए खुले हैं।
वीडियो एडिटिंग के अंतर्गत किसी न्यूज स्टोरी, डॉक्यूमेंट्री, टेलीफिल्म या अन्य कार्यक्रमों के लिए शूट अर्थात् पिक्चराइज्ड किए गए फुटेज या क्लिपिंग से स्क्रिप्ट और स्टोरी की मांग के अनुरूप दृश्य (शॉट्स) काटकर क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्थित किए जाते हैं और अनावश्यक दृश्य हटा या डिलीट कर दिए जाते हैं। इसके अलावा इसमें ऑडियो और विजुअल्स की मैंचिंग भी होती है। आवश्यकतानुसार स्पेशल इफेक्ट्स भी डाल जाते हैं, वोइस ओवर दी जाती है तथा म्यूजिक या च्वाइस ऑफ म्यूजिक डाला जाता है। उसके बाद पैकेजिंग होती हैं। गौरतलब है कि वीडियों एडिटिंग दो तरह की होती है- लीनियर एडिटिंग और नॉन लीनियर एडिटिंग। टेप-टू-टेप एडिटिंग को लीनियर एडिटिंग कहते हैं इसके हैं इसके अंतर्गत एक या एक से अधिक टेप (वीडियो केसेट) के फुटेज से शॉट्स काटकर स्क्रिप्ट या स्टोरी के अनुरूप एक अलग टेप में क्रमबद्ध तरीके से रिकॉर्ड किए जाते हैं, जिसे मास्टर कॉपी कहते हैं। इस प्रक्रिया के अंतर्गत एक-एक शॉट को ढूंढने के लिए पूरे टेप को बार-बार रिवर्स और फारवर्ड करना पड़ता है, जो बहुत ही समय लेने वाला ऊबाउ और मेहनत का काम है।
वर्तमान में नॉन लीनियर एडिटिंग के आ जाने से आज लीनियर एडिटिंग की उपयोगिता बहुत कम रह गई है। एडिटिंग सॉफ्टवेयर की मदद से कंप्यूटर द्वारा की जाने वाली एडिटिंग नॉन लीनियर एडिटिंग कही जाती है। इसके अंतर्गत शूट किए गए फुटेज को सॉफ्टवेयर और कैप्चर कार्ड की मदद से डिजिटल फार्म में कंप्यूटर की हार्ड डिस्क में कैप्चर किया जाता है। नॉन लीनियर एडिटिंग में स्पेशल इफेक्ट्स, ग्राफिक्स, म्यूजिक, साउंड इफेक्ट्स आदि भी बहुत आयानी से डाले जा सकते हैं।
कोर्स कराने के विभिन्न संस्थानः
1. सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ इमेजिंग टेक्नोलॉजी, तिरूअनंतपुरम।
2. सेंट जेवियर्स कॉलेज मुंबई।
3. फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीयूट ऑफ इंडिया, पुणे।
4. सत्यजीत रे फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीटयूट, कोलकाता।
5. फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीटयूट ऑफ तमिलनाडु।
6. जागरण इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड मास कम्युनिकेशन कानपुर, नोएडा।