बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने अपनी याचिका में कहा था कि चारा घोटाले के एक मामले में वह पहले ही दोषी ठहराए जा चुके हैं और इस मामले में उन्हें सजा भी हुई है। अन्य तीन मामले भी समान प्रकृति के हैं और इसलिए इन मामलों में सुनवाई निरस्त कर दी जानी चाहिए।
सीबीआई ने हालांकि इस आधार पर याचिका का विरोध किया कि सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई और तीनों मामले एक-दूसरे से अलग हैं। पूर्व मुख्यमंत्री को पिछले साल चारा घोटाले से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराते हुए चार साल कैद की सजा सुनाई गई थी। वह फिलहाल जमानत पर हैं।