भोपाल: मध्य प्रदेश में अतिवर्षा प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने अब तक राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) से एक पैसा नहीं दिया है, जबकि भाजपा शासित कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को क्रमश: 2411 व 2500 करोड़ रुपए की राशि इसी फंड से दी जा चुकी है।
इसी तरह राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) में से राज्य का हिस्सा देने में भी केंद्र सरकार राजनीतिक विद्वेष भावना से काम कर रही है। यह आरोप मप्र कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे, पीसीसी अध्यक्ष के मीडिया समंवयक नरेंद्र सलूजा व पीसीसी के प्रदेश प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने संयुक्त पत्रकारवार्ता में लगाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अतिवर्षा से 60 लाख हेक्टेयर में 16 हजार करोड़ की फसल को नुकसान हुआ है।
19 हजार स्कूल भवनों, 17 हजार आंगनवाड़ियों, 1.20 लाख मकानों को पूर्ण व आंशिक क्षति हुई है। साथ ही करीब 11 हजार किलोमीटर की सड़कें खराब हो चुकी हैं और 647 लोगों को अतिवर्षा से जान गंवाना पड़ी हैं। इतने नुकसान के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर राज्य को सहायता के लिए 6621 करोड़ रुपए का राहत पैकेज देने की मांग की थी, जिसमें एक रुपया भी राज्य को नहीं मिला है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि संघीय ढांचे की व्यवस्था में प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राज्य को केंद्र सरकार द्वारा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ में से राशि दी जाती है। केंद्र सरकार ने एनडीआरएफ में से राज्य के हिस्से को कम कर दिया है। केंद्र सरकार कांग्रेस शासित मप्र को एनडीआरएफ में से राशि नहीं दे रही है। जबकि भाजपा शासित कर्नाटक व महाराष्ट्र को इससे मदद दी गई है। कांग्रेस का आरोप है कि मध्य प्रदेश की जनता ने जिन 28 भाजपा सांसदों को जिताकर दिल्ली भेजा है, वे भी इस पर चुप्पी साधे हैं। मप्र को अब तक केंद्र द्वारा आपदा कोष से 247 करोड़ रुपए की राशि ही उपलब्ध कराई गई है। बिहार को 1030 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।