2019 के लोकसभा चुनाव संपन्न हुए। जल्द ही दूसरी सरकार अपना कामकाज शुरू करेगी। जाहिर है नई सरकार होगी तो परिस्थितियां भी नई होंगी और चुनौतियां भी नई। आइए हम बात करते हैं कुछ चुनौतियों की जिनका सामना नई सरकार को करना पड़ेगा।
पहली चुनौती है युवाओं को सरकारी नौकरियाँ और रोजगार के नए अवसर देना जो कि इन चुनावों में भी सत्ताधारी दल के लिए बड़ी चुनौती बने रहे। 2022 तक हर परिवार को रहने के लिए मकान भी सुनिश्चित करना होगा। अगली चुनौती विकास दर को फिर से आगे ले जाने की होगी। इसके अलावा विदेशी मुद्रा कोष को भी बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में अभी भी वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी के कुशल कार्यान्वयन में चुनौतियां आ रही हैं, उनसे निपटना होगा। आगामी सत्र में निर्यात को बढ़ाना भी एक मुद्दा है। ईरान से तेल आयात के मामले में अमेरिकी प्रतिबंध के बाद तेल के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है,जिससे सरकार को निपटना होगा।
सन 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के मामले में सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि यह देश के सबसे बड़े वर्ग यानी किसान की जिंदगी का सबसे अहम पहलू है। यह भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र का एक बिंदु भी और आगे आने वाली राजनीति को प्रभावित करने के मामले में सबसे अहम मुद्दा है। मौजूदा कटाई सत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य कई जगह से किसानों को नहीं मिल पा रहा है , जिसे सुनिश्चित करना राज्य सरकारों व स्थानीय निकायों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आने वाले वर्षों में दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के लिहाज से चीन और भारत के रिश्ते बहुत मायने रखेंगे। इस विषय पर बेहद चुस्त और दुरुस्त कूटनीति की आवश्यकता है तथा कश्मीर मुद्दे पर चीन और पाकिस्तान दोनों से निपटना राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रमुख मुद्दा रहेगा। अवैध घुसपैठ को रोकना और विधानसभा के चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न करवाना भी एक चुनौती है।
कहीं-कहीं अक्सर घटने वाली जातीय और धार्मिक हिंसा की घटनाओं को रोकना दी बहुत जरूरी है क्योंकि नए भारत जिसका सपना प्रधानमंत्री ने देश को दिखाया है उसमें ऐसी घटनाएं एक दाग की तरह हैं। जल और वायु प्रदूषण से निपटना और महिलाओं के विरुद्ध अपराध को समाप्त करना दो अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। एक अन्य मुद्दा जिस पर पूरे देश पर चर्चा अक्सर होती रहती है वह है अयोध्या के राम मंदिर का मसला। भारतीय जनता पार्टी के समर्थक और विरोधी दोनों उसे इस मुद्दे पर अक्सर घेरते नजर आते हैं। सियासी नजरिए से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, ऐसे में इस मुद्दे को सुलझाना बेहद अहम होगा।
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