राजधानी दिल्ली का जिक्र होते ही चांदनी चौक का नाम एक बार जेहन में अवश्य आता है। यह राजधानी के लोगों के लिए ही नहीं देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी अहम जगह है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि धीरे-धीरे यह बेनूर हो रहा है।
यहां प्रवेश करने के बाद जाम, अतिक्रमण, गंदगी और बिजली के खुले तार लोगों का स्वागत करते हैं। नेता इस क्षेत्र को सुधारने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाओं का दावा करते हैं लेकिन अभी यह क्षेत्र अच्छे दिन की बाट जोह रहा है। चांदनी चैक राजधानी के व्यस्ततम बाजारों में से एक है। कपड़े, आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक आइटम सहित तकरीबन हर चीज का थोक बाजार यहां मौजूद है। देश की राजधानी की अहम जगह होने के बावजूद यहां अभी भी ढांचागत सुविधाएं मौजूद नहीं हैं।
पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने की वजह से यहां जगह-जगह वाहन पार्क कर दिए जाते हैं। बेतरतीब ढंग से खड़े रिक्शे, मोटरसाइकिल व बड़े वाहनों के चलते यहां जाम की समस्या हमेशा बनी रहती है। रोजाना जाम में फंसना यहां के लोगों की मजबूरी हो गई है।
चांदनी चैक इलाके में गलियां बमुश्किल 20 फुट चैड़ी हैं। उस पर भी पटरी विक्रेताओं ने दुकानों के सामने दोनों तरफ से पांच फुट तक रेहडि़यां लगा रखी हैं। इससे गलियां काफी संकरी हो गई हैं। स्थिति यह है कि कई बार तो पैदल यात्रियों को यहां से गुजरने में समस्या होती है।
यह इलाका राजधानी के सबसे पुराने इलाकों में से एक है। यहां की इमारतें सौ साल से भी ज्यादा पुरानी हैं और ज्यादातर इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। हालांकि, नगर निगम ने नियम बनाया है कि यदि कोई बिना छत से छेड़छाड़ किए गए बगैर घर की मरम्मत करता है तो ठीक है। वरना ऐसी स्थिति में इसके लिए नक्शा पास करवाना होगा। नक्शा पास कराने के डर से लोग अपने घर की मरम्मत तक नहीं करवाते।
चांदनी चैक में अवैध निर्माण जोरों पर है। स्थानीय लोगों के मुताबिक प्राइवेट बिल्डर नगर निगम के अधिकारियों की सांठगांठ से नियम-कायदों को दांव पर रखकर यहां पांच से छह मंजिला तक की इमारतों का निर्माण कर रहे हैं। अवैध निर्माण के दौरान कई बार आसपास की इमारतों की नींव खोद दी जाती हैं, इससे इमारतें ढह जाती हैं। इस तरह के कई हादसे इलाके में हो चुके हैं।
यह इलाका नगर निगम के क्षेत्र में आता है, यहां भाजपा सत्तासीन है। विकास के नाम पर पिछले कुछ सालों में चांदनी चैक में शायद ही कुछ हुआ हो। यहां सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की है। नगर निगम ने पार्किंग निजी ठेकेदारों को सौंप रखी है जो पार्किंग के लिए मनमाने पैसे वसूलते हैं। पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था न होने की वजह से यहां अतिक्रमण और जाम की समस्या भी हद से ज्यादा है लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
यहां के रिहायशी इलाकों में गंदगी के चलते बुरा हाल है। नगर निगम के कर्मी यहां नियमित रूप से सफाई करने नहीं आते हैं। इससे यहां गंदगी फैल रही है, इससे बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है।
अवैध निर्माण इलाके की प्रमुख समस्या बन गया है। बिल्डर प्रशासन की सांठगांठ से अवैध निर्माण को अंजाम दे रहे हैं और नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। पिछले कई सालों में विकास के नाम पर यहां कोई काम नहीं हुआ है।
ऐसा नहीं है कि यहां विकास नहीं किया गया है। दरअसल यह इलाका दिल्ली के सबसे पुराने इलाकों में से एक है। यहां जगह की कमी है, इसके चलते कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं। इसके बावजूद उत्तारी दिल्ली नगर निगम इस कोशिश में है कि यहां के लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं फिर चाहे ये पार्किंग से संबंधित हों या फिर साफ सफाई से।