चंद्रयान 2 : चंद्रमा की निचली कक्षा में उतरा यान, मंजिल सिर्फ एक कदम दूर

बेंगलुरू : चंद्रयान-2 (chandrayaan 2) के ऑर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ के अलग होने के एक दिन बाद ISRO) ने बताया कि उसने यान को चंद्रमा की निचली कक्षा में उतारने का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।

चंद्रयान-2 अपनी मंजिल से सिर्फ एक कदम दूर है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने ट्वीट किया- चंद्रयान-2 की दूसरी डी-ऑर्बिटिंग की प्रक्रिया आज तड़के तीन बजकर 42 मिनट पर सफलतापूर्वक पूरी हुई। इस पूरी प्रक्रिया में नौ सेकंड का वक्त लगा और इसके बाद विक्रम लैंडर तेजी से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तरफ बढ़ रहा है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और लैंडर दोनों सही तरह से और सही दिशा में कार्य कर रहे हैं।

क्या होती है डी-ऑर्बिटिंग की प्रक्रिया : डी-ऑर्बिटिंग का मतलब होता है एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाना और चंद्रयान-2 की पहली डी-ऑर्बिटिंग की प्रक्रिया मंगलवार सुबह सफलतापूर्वक पूरी हुई थी। चंद्रयान-2 दूसरी डी-ऑर्बिटिंग की प्रक्रिया पूरी करने के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के बहुत करीब पहुंच गया है।

राष्ट्रीय ध्वज के साथ करेगा सॉफ्ट लैंडिंग : भारत के राष्ट्रीय ध्वज को लेकर जा रहा चंद्रयान 2 7 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा तथा और उस दौरान प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा। इस मिशन में चंद्रयान-2 के साथ कुल 13 स्वदेशी मुखास्त्र यानी वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, राडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं।

चौथा देश बन जाएगा भारत : इस अभियान पर लगभग 1000 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यह अन्य देशों द्वारा संचालित ऐसे अभियान की तुलना में काफी कम है। यदि यह अभियान सफल रहता है तो भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर रोवर उतराने वाला चौथा देश बना जाएगा। इस वर्ष की शुरुआत में इजरायल का चंद्रमा पर उतरने का प्रयास विफल रहा था।

मोदी भी देखेंगे लैंडिंग का नजारा : चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के उतरने की घटना के गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसरो मुख्यालय में उपस्थित रहेंगे। मोदी के साथ स्पेस क्विज जीतने वाले देशभर के 50 बच्चे व उनके माता-पिता को भी इसरो ने बुलाया है। चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर लैंडिंग का नजारा अमेरिकी एजेंसी नासा के साथ ही पूरी दुनिया देखेगी।