नई दिल्ली : एक बार फिर चीन वही कर रहा है जिसके लिए कुख्यात है। ड्रैगन एक मुंह से शांति की बातें कर रहा है तो दूसरी तरफ युद्ध का फूंफकार छोड़कर दबाव बनाने की कोशिश। लद्दाख में भारतीय सेना से तनातनी के बीच चीन की पीपल लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने एक बड़े युद्धाभ्यास का दावा किया है। सीमा विवाद को लेकर बीतचीत के बीच ही चीन की सेना ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध की तैयारी परख रही है। चीन की सरकारी मीडिया इस युद्धाभ्यास की तस्वीरें और वीडियो जारी करके प्रोपेगेंडा फैला रही है और सेना की शक्ति का प्रदर्शन कर रही है।
चाइना सेंट्रल टेलीवीजन (सीसीटीवी) के मुताबिक, पीएलए ने अज्ञात स्थान पर किसी ऊंचे वाले स्थान पर यह युद्ध अभ्यास किया है। सैनिकों और साजो सामान को देश के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित हुबेई प्रांत से मूव किया गया। इससे चीन संदेश देना चाहता है कि वह लद्दाख जैसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र के लिए तैयारी कर रहा है।
सीसीटीवी के मुताबिक इस पूरे अभ्यास को महज कुछ घंटों में अंजाम दिया गया। यह चीन की क्षमता को दिखाता है कि किस तरह जरूरत पड़ने पर सैन्य साजो सामान को ऊंचे युद्ध में तेजी से पहुंचाया जा सकता है। बताया गया है कि सिविलियन एयरलाइन्स, रोड और रेलवे के जरिए हजारों सैनिकों को अज्ञात स्थान पर ले जाया गया, जो उत्तर पश्चिम ऊंचाई वाले इलाके में है और हुबेई से हजारों किलोमीटर दूर है। सीसीटीवी ने यह भी कहा कि कोरोना का केंद्र रहा हुबेई अब पूरी तरह सामान्य है और यहां सैनिक युद्धाभ्यास और युद्ध के लिए तैयार हैं। सीसीटीवी ने कहा है कि इस युद्धाभ्यास के दौरान कुछ ही घंटों में सैन्य साजो-सामान, बख्तरबंद गाड़ियों और सैनिकों को युद्धक्षेत्र में पहुंचाने की तैयारी को परखा गया।
चीन मामलों के जानकारों का कहना है कि चीन का दोहरा रवैया कोई नई बात नहीं है। यह उसकी पुरानी रणनीति का हिस्सा है। वह एक तरफ दुनिया के सामने शांति की बात करता है तो दूसरी तरफ इस तरह के युद्ध अभ्यास और शक्ति प्रदर्शन से सामने वाले पक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश करता है।