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चीन की सैन्य ताकत ने बढ़ाई अमेरिका की परेशानिया

chinaअगर हम चीन की बात करें तो वह अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए हर समय सभी भरसक कोशिशे करने में लगा रहता है, और चीन ने कई बार कई चीजों बे अपनी शक्तियों का परमाण भी दिया है। जहाँ चीन एक और अपनी शक्तियों को बढ़ाने में लगा है वहीं अमेरिका इस बात को लेकर परेशान है। एक अमेरिकी शीर्ष कमांडर (PACOM) ने कांग्रेस की बैठक में सांसदों से कहा कि मुझे लगता है कि अमेरिका को चीनी सेना में वृद्धि पर बहुत सावधानी से नजर रखने के साथ यह भी देखने की जरूरत है कि यह सेना क्षेत्रीय सुरक्षा माहौल में कैसे समाहित होती है।

लॉकलियर ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के पुनरू संतुलन का एक पहलू यह सुनिश्चित करना है कि वहां भविष्य के लिए ‘उचित बल मिश्रण’ हो ताकि अमेरिका अपने नागरिकों और सहयोगियों को यह भरोसा दिला सके कि उनके हित वहां सुरक्षित हैं। चीन के साथ अपने संबंधों को लेकर लॉकलियर ने सीनेटर लिंडसे ग्राहम के एक सवाल के जवाब में कहा कि चीन इस समय न तो हमारा दोस्त है और न ही दुश्मन । लिंडसे ग्राहम ने यह इल्जाम भी लगाया कि चीन का व्यवहार केवल उकसाने वाला ही नहीं, अपितु ‘घृणित’ भी है।

साथ ही ग्राहम का यह भी कहना है कि वे अमेरिकी बौद्धिक संपदा को अपने फायदे के लिए चुरा रहे हैं। वे साइबर स्पेस के प्रयोग करके आये दिन अमेरिका पर हमला कर रहे हैं। वे दुनिया की सबसे खतरनाक शासन पद्धतियों में से एक को समर्थन दे रहे हैं, जो हमारे लिए खतरा उत्तपन कर सकता है। उन्होंने (PACOM) कमांडर से कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप चीन को यह बताएं कि उनके व्यवहार से यहां कांग्रेस में हताशा बढ़ रही है। हम चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हिस्से के तौर पर चीन अधिक परिपक्व तरीके से व्यवहार करे।

इप सभी बातों के बीच सीनेटर जेम्स इनहोफे ने चीन के बढ़ते रक्षा बजट पर चिंता जताते हुए कहा कि उसका रक्षा बजट 2013 में 10.7 प्रतिशत बढ़ जाएगा। 90 के दशक में चीन के रक्षा बजट में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि अमेरिका ने अपने रक्षा बजट में 30 प्रतिशत की कटौती की। सीनेटर कार्ल लेविन ने कहा कि सेना में वृद्धि और सैन्य ताकत के आधुनिकीकरण के साथ चीन का क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव लगातार बढ़ रहा है जिसने रक्षा विभाग का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

चीन की बढ़ती शक्तियों को लेकर अमेरिका की परेशानियां बढ़ना लाजमी है क्योंकि जब भी किसी शक्तिशाली देश के सामने कोई उससे आगे किलने की होड़ करता है तो उसे अपनी शक्तियों को लेकर चिन्ता हो ही जाती है।