नेपाल : नेपाल में चिकित्सक की पढ़ाई कर रहे सैकड़ों भारतीय छात्रों को चाईना के द्वारा चलाये जा रहे भारत विरोधी गतिविधियों के तहत उनका भविष्य बर्बाद करने की गहरी साजिश का भारतीय छात्रों ने किया भंडाफोड़। न्याय के लिए भटक रहे भारतीय छात्रों ने विरोध स्वरूप भारत के प्रधानमंत्री सहित नेपाल अवस्थित भारतीय दूतावास का दरवाजा खटखटाया। नेपाल में भारतीय दूतावास ने जब काठमांडू विश्वविद्यालय को तबल किया तो तिलमिलाए वहाँ के संबंधित अधिकारी ने मोबाईल पर एक भारतीय छात्र दी जान से मारने की धमकी ।
डोकलाम से नाकाम चाईना इन दिनों नेपाल में भारत विरोधी गतिविधि के तहत अब वहाँ डाक्टरी की पढ़ाई कर रहे भारतीय विद्यार्थियों को अपना निशाना बना बना रहा है। एक ओर जहाँ नेपाल के काठमांडू विश्वविद्यालय अंतर्गत कुल दस मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे नेपाली छात्रों को विधि सम्मत उत्तीर्ण किया जाता रहा है,वही दूसरी ओर उसी काठमांडू विश्वविद्यालय के कुछ चाईना समर्थक प्रोफेसरों के द्वारा वर्ष 2011 से लगातार इस विश्वविद्यालय अंतर्गत कुल 134 छात्रों को डिग्रि से ही वंचित कर दीया गया है।
अब हम आपको बतादें कि नेपाल के काठमांडू विश्वविद्यालय अंतर्गत कुल दस मेडिकल कॉलेजों में 01 स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस,काठमांडू 02 मणिपाल कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस,पोखरा,03 कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस, भरतपुर चितवन,04 काठमांडू मेडिकल कॉलेज, काठमांडू 05नेपाल मेडिकल कॉलेज, काठमांडू,06 नेपालगंज मेडिकल कॉलेज, नेपालगंज,07 लुम्बिनी मेडिकल कॉलेज, पाल्पा 08 नॉबेल मेडिकल कॉलेज, बिराटनगर,09 बिराट मेडिकल कॉलेज, बिराटनगर,10 देवदाहा मेडिकल कॉलेज, रूपनदेहि, हैं।वर्तमान आंकड़ो के अंतर्गत नेपाल के इन अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में लगभग 3,435 भारतीय छात्र व छात्राएं मेडिकल की पढ़ाई कर रहें है,जिनका नामांकन वर्ष 2011 में काठमांडू यूनिवर्सिटी के नियामकुल अनुसार हुआ था,जिनका वर्ष 2015 तक कोर्स समाप्त भी हो चुका है।
इस संदर्भ में उन्ही भारतीय छात्रों की ओर से महावीर नामक एक छात्र ने स्पष्ट तो यह आरोप लगाया कि,इस विश्वविद्यालय के कुछ ऐसे प्रोफेसर है जो चाईना के समर्थन ने एंटी इंडियन लॉबी चला रहें है,जिसके अंतर्गत ये लोग एक ओर जहाँ नेपाली छात्रों को उतीर्ण कर रहें हैं वहीं वे 90% भारतीय छात्रों को न सिर्फ फेल कर दिया है,बल्कि 134 भारतीय छात्रों को डिग्री से भी वंचित कर दिया है।
सबसे गौरतलब करने वाली बात यह भी है कि,एक तरफ जहाँ डाक्टरी की पढ़ाई करने वाले भारतीय विद्यार्थियों को नेपाल में न सिर्फ वहाँ के विश्वविद्यालय के द्वारा कई प्रकार के मानसीक रूप से प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है,बल्कि वहीं दूसरी तरफ वहाँ के मेडिकल कॉलेज प्रबंधनों के द्वारा भी मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई खर्च इन भारतीय छात्रों से नेपाली छात्रों के वनिस्पत दुगुना तिगुना लिया जाता है। फलस्वरूप अब ये छात्र मानसिक रोग के शिकार होने लगे हैं।
कुल मिलाकर वस्तु स्थिति के मद्देनजर नेपाल में पढ़ रहे मेडिकल के छात्र व छात्राएं,काठमांडू विश्वविद्यालय के खिलाफ अब गोलबंद होकर अपना विरोध करना आरंभ भी कर दिया है। उनलोगों ने इस संदर्भ में एक शिकायत पत्र लिखकर 01 प्रधानमंत्री नेपाल सरकार,02 प्रधानमंत्री, भारत सरकार,03 विदेशमंत्री भारत सरकार ,04 नेपाल अवस्थित भारतीय दूतावास 05 गृहमंत्री नेपाल,06 विदेशमंत्री नेपाल सरकार,07 भारत अवस्थित नेपाल दूतावास आदि जगहों को दे दिया है,जिसका जवाब प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार के द्वारा इन छात्रों को जिस प्रकार से मिल रहा है,ऐसा लगता है कि,भारत सरकार इस संवेदनशील मामला को काफी गंभीरता ले रही है।
मगर इस बावत नॉबेल मेडिकल के एक सीनियर छात्र महाविर ने यह भी बताया कि आज उन्हें किसी अज्ञात व्यक्ति ने नेपाल में ही, नेपाली समय ठीक 11:53 AM उसे +977-9801002491 से उसके +977-9819360126 पर फोन आया जिसमे उसे जान से मारने की धमकी दी गई है। फोन पर टूटी फूटी हिंदी में किसी अज्ञात व्यक्ति ने कहा कि ” नेपाल में खुखरी जानते हो? खुखरी से तुम्हारा काम तमाम कर देंगे,तुम इस रास्ते से हट जाओ वरना जान से हाथ धोना पड़ेगा।” इस घटना के बाद पूरे नेपाल के भारतीय छात्रों में भय का माहौल व्याप्त है।
हांलाकि इस घटना की जानकारी सभी भारतीय विद्यार्थियों ने सर्वप्रथम नेपाल काठमांडू अवस्थित भारतीय दूतावास को दे दिया है। जबकि इन सभी भारतीय छात्रों को जिन लोगों पर संदेह है उनके नाम को अबतक लिखित रूप में कोई शिकायत नहीं की गई है जबकि काठमांडू विश्वविद्यालय में चाईना के समर्थन में भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले जिन लोगों के नामों की चर्चा इन दिनों नेपाल में जोरों पर है,इनके नाम 01 डॉ. रामकंठ मकाजु (VC) 02 डॉ.राजेन्द्र कोजू (डीन) 03 डॉ. दीपक श्रेष्ठ 04 डॉ. रमेश कोजू 05 डॉ. राजीव श्रेष्ठ 06 डॉ. दिल ईस्लाम मंसूर हैं। अब जबकि यह मामला पूरी तरह से अंतराष्ट्रीय है और इसकी शिकायत भारतीय छात्रों ने भारत के प्रधानमंत्री सहित सभी उच्चाधिकारियो को भी दे दिया तो अब देखना है कि इन छात्रों को न्याय कब तक मिल पाता है।