पूर्वी लद्दाख के इलाके में मध्य अप्रैल में देपसांग घाटी में घुसपैठ की वारदात के बाद चीनी सैनिकों ने करीब एक दर्जन बार घुसपैठ की है लेकिन ताजा घुसपैठ चीनी सैनिकों के लिए यादगार रहेगी। यह मामला 13 अगस्त का हैए जब चीनी सेना की टुकड़ियां अरुणाचल की सीमा में 20 किलोमीटर तक दाखिल हो गईं।
ख़बरों के मुताबिक़ ये टुकड़ियां तीन-चार दिन तक रुकी रहीं। चीनी टुकड़ियां चागलागाम में फिश टेल इलाके से यहां दाखिल हुईं। इस इलाके की चौकसी भारत−तिब्बत सीमा पुलिस के जिम्मे है और जब फौज को बुलाया गयाए तो चीनी टुकड़ियां यहां से लौट गईं। हालांकि लोगों का कहना है कि चीनी टुकड़ियां इलाके में ही कहीं कैंप लगाकर बैठी हैं। सेना ने फिलहाल इलाके में चौकसी बढ़ा दी है।
दरअसलए इंटरनैशनल सीमा पर चीनी सैनिकों ने घुसपैठ कीए लेकिन उन्हें भारतीय सैनिकों ने पीछे जाने को मजबूर किया। एक छोटी पर्वतीय चोटी को पार करने के तुरंत बाद चीनी सैनिकों का सामना भारतीय सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के चौकस जवानों से हुआ। रोके जाने पर चीनी सैनिकों ने कहा कि वे अपने इलाके में हैं और तिबले तक जा रहे हैं। तिबले भारतीय सीमा के पांच किलोमीटर भीतर है। चुमार हिमाचल प्रदेश की सीमा पर लद्दाख का अंतिम कस्बा है। इस इलाके में चीन से लगी सीमा को मान्यता प्राप्त इंटरनैशनल सीमा के तौर पर जाना जाता है।