दिल्ली में 18 जुलाई को होने वाली एनडीए की बैठक से पहले चिराग पासवान ने बीजेपी नेतृत्व के सामने नई शर्त रखी है. चिराग पासवान ने 2019 के लोकसभा चुनावों में अविभाजित लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) द्वारा जीती गई सभी 6 लोकसभा सीटों और एक राज्यसभा सीट की मांग की है, जो पहले पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान के पास थी.
पार्टी के सूत्रों ने बताया कि यह निर्णय चिराग के दिल्ली रवाना होने से पहले रविवार को पटना में पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान लिया गया. एलजेपी का लक्ष्य इन “पारंपरिक” सीटों और राज्यसभा सीट पर अपनी दावेदारी मजबूत करने की है.
एलजेपी की मांग के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली में इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा है.
एलजेपी के दो गुट हैं, एक का नेतृत्व चिराग पासवान कर रहे हैं और दूसरी है राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी), जिसका नेतृत्व उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि बीजेपी दोनों की दुश्मनी से निराश है और चाहती है कि वे अपने मतभेदों को तुरंत सुलझा लें.
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इसी योजना के तहत केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने एक दिन पहले पारस से मुलाकात की थी, लेकिन इस कदम से अब आरएलजेपी अध्यक्ष नाराज हो गए हैं. पारस ने कहा कि नित्यानंद राय के कहने से क्या होगा? नित्यानंद राय भाजपा के प्रामाणिक सदस्य नहीं हैं.
उनके बयान पर चिराग खेमे ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसने इसे भाजपा और गठबंधन धर्म का अपमान बताया. एलजेपी (आरवी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक भट्ट ने कहा कि पशुपति कुमार पारस जैसे केंद्रीय मंत्री द्वारा नित्यानंद राय को दिया गया बयान एक बेहद गैर-जिम्मेदाराना बयान है. वह गठबंधन का हिस्सा रहते हुए भाजपा के मानदंडों को तोड़ रहे हैं.
हाजीपुर सीट नहीं छोड़ेंगे पारस
चिराग पासवान की मांग से इतर केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने साफ कर दिया है कि वह भतीजे चिराग के लिए अपनी हाजीपुर लोकसभा सीट नहीं छोड़ेंगे. दिवंगत राम विलास पासवान ने दशकों तक इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
चिराग ने हाल में कहा है कि उनकी पार्टी ‘निसंदेह’ हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ेगी. केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ने दावा किया कि वह पहले से ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में हैं, लेकिन 18 जुलाई को गठबंधन की बैठक में भाग लेने के लिए भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से निमंत्रण मिलने के बावजूद चिराग इसमें शामिल होने को लेकर असमंजस में थे.
भतीजे चिराग द्वारा संसदीय क्षेत्र में शनिवार को आयोजित एक सार्वजनिक बैठक के बारे में पूछे जाने पर पारस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उनकी (चिराग) हाजीपुर में कोई हैसियत नहीं है. मुझे आश्चर्य है कि वह अपना समय वहां क्यों गंवा रहे हैं.’’
एक इंटरव्यू में पारस ने चिराग के इस हालिया दावे को परोक्ष रूप से खारिज किया कि दिवंगत पासवान चाहते थे कि वह (चिराग) हाजीपुर से चुनाव लड़ें और कहा कि ‘‘2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान मेरे बड़े भाई जीवित थे जब मैंने पहली बार सीट से चुनाव लड़ा था.’’
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया, ‘‘मैं अपने बड़े भाई की आज्ञा का पालन करने के लिए मैदान में उतरा. मैं दिल्ली नहीं जाना चाहता था. मैं राज्य में मंत्री बनकर खुश था, लेकिन दिवंगत पासवान ने कहा कि वह मुझे अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखते हैं.’’