बतया जा रहा है कि 1993 से 2005 के बीच आवंटित किए गए कोल ब्लॉक की फाइलें गाएब हैं। इसके अलावा कांग्रेस सांसद विजय दर्डा के सिफारिश के दस्तावेज भी नहीं मिल रहे हैं। दर्डा ने बांदेर कोल ब्लॉक के लिए सिफारिश की थी, जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय से फॉरवर्ड किया गया था। लेकिन अब वो दस्तावेज कोयला मंत्रालय से लापता हो चुका है।
दरअसलए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार द्वारा सर्च कमेटी का गठन किया गया था, लेकिन सर्च कमेटी को कई अहम फाइलों का पता नहीं चल सका है। बताया जा रहा है कि कोयला खदान हासिल करने के लिए जिन 157 निजी कंपनियों ने आवेदन किया था उनके रिकॉर्ड भी गायब हो चुके हैं।
ख़बरों के मुताबी यह भी खुलासा हुआ है कि स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग के मिनट्स का भी लापता हैं।