पहले पार्टी में भ्रम दूर करने की गुजारिश राहुल गांधी से की। राहुल दस जनपथ से निकलकर पार्टी मुख्यालय अकेले पहुंचे और उन्होंने यह तय कर लिया है कि पार्टी में बदलाव के एजेंडा की सारी पटकथा वे खुद लिखेंगे। राहुल गांधी यह कहना था कि अब तक जो भी वो लोग कर रहे थे उसके बारे में सोचकर समय बर्बाद करने से कोई फायेदा नहीं है बल्कि हमें भविष्य को लेकर बात करनी है।
इसी बैठक में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने पार्टी में पनप रहे भ्रम को दूर करने की बात पर जोर दिया। उनका कहना था कि जब चीजें तय हो जाएंगी तो सब मिलजुलकर काम करेंगे। कुछ अन्य नेताओं ने भी इसका समर्थन किया। महासचिव चौधरी वीरेंद्र सिंह का यह कहना था कि पार्टी में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि नेताओं के कामकाज में समानता रहे. पार्टी की शक्ति कुछ लोगों तक सिमटी न रहे।
कांग्रेस केंद्र सरकार में मंत्री व पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद का यह कहना था कि एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला लागू करने की आवश्यकता है । महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों के प्रभारी मोहन प्रकाश ने कहा कि पार्टी को अपने सामाजिक आधार का विस्तार करना चाहिए। शकील अहमद ने चुनाव में टिकटों की खरीद-फरोख्त का मुद्दे को उठाया। कुछ नेताओं का यह भी कहना था कि बाहरी लोग आते हैं और पैसे के बल पर टिकट खरीद लेते हैं और बाहर चले जाते हैं। इसे रोकने की आवश्यकता है। लुइजेन्हो फलेरो ने कहा कि हर एक राज्य की जरूरत के अनुसार ही कार्यक्रम बना जाये । कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद ने पैसे के बल पर पार्टी में प्रभुत्व जमाने का प्रयास करने वाले नेताओं को हतोत्साहित करने को कहा। गुलचैन सिंह चरक ने जयपुर में दिए गए राहुल गांधी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि अगर आपकी कही बातों पर ही कायदे से अमल किया जाए तो बहुत कुछ अछे बदलाव किये जा सकते हैं। मुकुल वासनिक ने कहा कि पार्टी केवल चुनाव लडऩे तक सीमित न रहे। हमें अन्य सामाजिक कार्यो में भी रूचि लेनी चाहिए जिससे पार्टी का आधार बढ़े। विलास मुत्तेमवार ने कहा कि सरकारी योजनाएं जनता तक ठीक ढंग से पहुंचे इसके लिए पार्टी को सही प्रयास करना चाहिए।