इन साम्प्रदायिकों के बारे में आप लोगो का क्या सोचना है …..?
यह लेख मोदी समर्थन नही बल्कि सत्य का दर्शन है …….
मित्रो जुलाई 1946 ई० में मंत्रिमंडलीय मिशन योजना के अनुसार भारत में चुनाव हुए ! और 2 सितेम्बर 1946 ई० को नेहरू ने अंतरिम सरकार का गठन किया और 26 अकतूबर 1946 ई० को मुस्लिम लीग भी सरकार में शामिल हो गयी !लेकिन इससे पहले ही 16 अगस्त 1946 को मुसलिम लीग ने अलग पाकिस्तान की मांग के लिए सीधी कार्यवाही दिवस मनाया और देश में सांप्रदायिक दंगो की की शुरुआत नोवाखली (अब बंगलादेश ) से हुआ !और 1948 के अंत तक लगभग 5,00,000(पांच लाख) लोग मारे गये ! उस समय नेहरू और जिन्ना की टीम देश के अन्तरिम सरकार का नेतृत्वा कर रही थी तो क्या दंगे में मारे गए पांच लाख के मौत के जिम्मेदार नेहरूए और जिन्ना थे …?यदि नही तो फिर गुज़रात दंगे के लिए मोदी क्यों ..?
उस समय गाँधी की मर्ज़ी के बिना देश में एक पत्ता भी नही हिलता था फिर दंगो के लिए गाँधी कितना जिम्मेदार थे …?और गाँधी दंगा रोक पाने में क्यों नही कामयाब हुए ..? तो क्या गाँधी सांप्रदायिक थे …?यदि नही तो दंगा न रोक पाने के लिए मोदी सांप्रदायिक कैसे …?
आगे देखते है इंदिरा नेहरू की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने किया और 40,000(चालीस हज़ार) सिख मारे और जलाए गए ! ये न भूले कि दंगे सिख व् हिन्दू या मुस्लमान के बीच नही हुए थे बल्कि ये सीधे कांग्रेस पार्टी द्वारा किया गया सिक्खों का स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा नर संहार था ! तो क्यों नही इसके लिए ततकालीन प्रधान मंत्री राजीव नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया …?सिर्फ मोदी को क्यों …?
अभी हाल ही में हुए असम दंगे के लिए मुख्यमंत्री तरुण गोगोईएकांग्रेस और सोनिया की जिम्मेदार कब तक तय होगी जिसमे हजारो लोगो की जान चला गया …?आज़ादी से लेकर आज तक हजारो दंगो में लाखों लोगो की जान कांग्रेस के शासन काल में गयी है लेकिन कोई जिम्मेदार नही …?और यही लोग सबसे बड़े सेक्युलर कहलाते है …?
लेकिन गुज़रात में दंगे हुए ८०० मुस्लमान और ३०० हिन्दू क्या मारे गए मोदी मानवता के दुश्मनएघोर सांप्रदायिकएऔर न जाने क्या क्या कहलाने लगे !हम मानते है कि इस देश में दंगो के लिए एक व्यक्ति जिम्मेदार नही हो सकता है बल्कि जाती और धर्म की घटिया राज़नीति जिम्मेदार है और समाज में व्यापत कट्टरपंथी सोच व् ताकते ! जिन्हें राज़नितिक दर अपने फायदे के लिए संरक्षण देते है !
आज़ादी से आज तक हुए दंगों को याद करके हिन्दू और मुसलमान आपस में सिर्फ नफ़रत ही बाँट सकते है और राज़नितिक दल यही चाहते है ..! दंगो पर आधारित मोदी विरोध खुद में एक घोर सांप्रदायिक विचार धारा है ! जिसका प्रचार कांग्रेस एसपा एबसपा और तमाम झूठे सेकुलर दल रहे है और काटजू जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी भी …?
मोदी विरोध विकास विरोध जैसा है और विकास विरोध राष्ट्र विरोध जैसा होता है ण्ण्ण्
आगे आप लोग खुद निर्णय करे कि देश को सोनिया चाहिए या मोदी ण्ण्ण्घ्…?
गुस्ताखी माफ़ ए अतुल्य भारत अतुल्य भारत वासी जय हिन्द जय भारत