भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को 8,000 करोड़ रुपये के बांड पुनर्खरीद सहित नकदी नरम करने के कई उपायों की घोषणा की थी, ताकि अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके, लेकिन इसके बावजूद रुपये में गिरावट थम नहीं रही है।
इस गिरावट के साथ ही रुपया दुनिया की तीसरी सबसे खराब करंसी बन गया। एशिया में सबसे खराब करंसी के मामले में रुपया दूसरे नंबर पर आ गया है। लगातार छठे दिन रुपए में यह सबसे बड़ी गिरावट है। अब तक के इतिहास में रुपया इससे ज्यादा कभी नहीं गिरा था।
इसी के साथ निवेशकों की चिंता यह बता रही है कि रुपये को थामने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं है और इससे चालू खाते के घाटे में कोई खास कमी नहीं आएगी। रुपये की कमजोरी से तेल समेत अन्य आयातित वस्तुओं के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति का दबाव तेज होने की आशंका है।
रुपये में रिकॉर्ड कमजोरी के असर से भारतीय शेयर बाजार भी लगातार औंधे मुंह गिर रहे हैं। लेकिन इससे भी ज्यादा खतरनाक खबर ये है कि जर्मनी के एक बैंक (Deutsche) ने कहा है कि डॉलर एक महीने में 70 रुपये के पार जा सकता है, इसका सबसे ज्यादा असर हुआ है देश में कमाई के मौकों पर- यानी नौकरी और कारोबार पर।