नई दिल्ली : कोरोना वायरस की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। उद्योग मंडल एसोचैम का मानना है कि वायरस की वजह से वैश्विक निर्यात बाजार में चीन के खाली स्थान की जगह भारत ले सकता है। एसोचैम ने यह भी कहा कि भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स, विशेष प्रकार का रसायन और वाहन निर्यातक कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर हैं और उन्हें आपूर्ति दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां स्थानीय कारोबारियों के लिए अवसर बढ़े हैं।
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, ”कुछ क्षेत्रों को छोड़कर भारत के बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग निर्यातक चीन द्वारा खाली किए गए बाजार को हासिल कर सकते हैं। कुछ यही स्थिति चमड़ा और चमड़ा सामान क्षेत्र को लेकर भी है। उन्होंने कहा कि भारत कृषि और कालीन क्षेत्र में भी अवसर तलाश सकता है।
सूद ने कहा, ”चीन के निर्यातक जब अपनी आपूर्ति को सामान्य करने की स्थिति में आ जाएंगे, उस समय भी हमारे कई क्षेत्रों को उससे प्रतिस्पर्धा करने को अपने उत्पादन के स्तर को बेहतर करना होगा। सूद ने कहा कि कोरोना वायरस जैसी आपदा आज पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। लेकिन भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह इस खाली स्थान की भरपाई करे। भारत जैसे देशों को इस मुद्दे पर स्पष्ट रणनीति बनानी चाहिए।
इससे पहले, उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा था कि औषधि समेत भारतीय उद्योग और व्यापार जगत के तमाम क्षेत्र आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव पड़े बिना कोरोना वारस से उत्पन्न स्थिति से निपटने को तैयार हैं। उसने यह भी कहा कि इससे निकट भविष्य में कोई बड़ी चुनौती नहीं दिखाई दे रही।
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। भारत सरकार और उद्योग एक-दूसरे के साथ मिलकर सक्रिय रूप से इससे निपटने को लेकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ”यह सही है कि उच्च एकीकृत अर्थव्यवस्था में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला एक वास्तविकता है, लेकिन अस्थायी बाधाओं से निपटेन के लिये पर्याप्त गुंजाइश बनी हुई है।