नई दिल्ली : यूपी के मुरादाबाद डिलारी सहकारी समिति से किसान के नाम पर फर्जी तरीके से 836 रुपये का कर्ज लेने के मामले में अदालत ने साढ़े 37 साल बाद अपना फैसला सुनाते हुए तत्कालीन सचिव को दो साल कैद की सजा दी। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आजाद सिंह की अदालत ने सोमवार को इस केस में समिति के सेवानिवृत्त सचिव पर ढाई हजार रुपये के अर्थदंड भी लगाया।
अभियोजन अधिकारी सहला शमी ने बताया कि 26 मार्च 1981 को डिलारी थाने में सुक्खा सिंह ने सहकारी समिति डिलारी के सचिव राम प्रसाद सैनी के खिलाफ 416, 420 और 468 आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज कराया था। जिसमें सुक्खा सिंह ने आरोप ने बताया था कि फर्जी फोटो और फर्जी अंगूठा लगाकर सहकारी समिति से उसके नाम पर 836 रुपये का कर्ज निकाला गया, जबकि वह कभी भी सहकारी समिति का सदस्य नहीं रहा है।
सहकारी समिति के अधिकारी और कर्मचारी उस पर दबाव बना रहे हैं कि वह कर्ज का भुगतान करें। वरना उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सुक्खा सिंह ने केस में बताया कि वह इस मामले की शिकायत सहकारी समिति के सचिव और सहायक विकास अधिकारी से भी कर चुका है, लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो पा रही है। पुलिस ने केस की तफ्तीश पूरी करने के बाद सचिव राम प्रसाद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
इस केस की सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (अपराध शाखा) आजाद सिंह की अदालत में चली। अभियोजन पक्ष सहला शमी और राजेश कुमार ने रखा और मुलजिम को सजा दिलाने की दलीलें दीं। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाया। अदालत ने मुलजिम को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा और ढाई हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया है।