भारत सरकार द्वारा इस कानून की अधिसूचना जारी होने के पश्चात राज्य सरकार के स्तर पर इसे लागू करने हेतु नियमों का निर्धारण 6 माह
के भीतर किया जायेगा।
वर्ष 2007 में 25 हजार लोगों के साथ ग्वालियर से दिल्ली तक जनादेश 2007 सत्याग्रह पदयात्रा की गयी। इसके बाद वर्ष 2012 में 50 हजार लोगों के साथ ग्वालियर से दिल्ली तक जन सत्याग्रह 2012 सत्याग्रह पदयात्रा आयोजित की गयी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिन के असवर पर ही सत्याग्रह पदयात्रा आरंभ की गयी। दोनों बार केन्द्रीय सरकार के आश्वासन दिये। परन्तु आश्वासन को धरती पर उतारने की कोशिश नहीं की गयी। इससे शामिल होने वाले वंचित समुदाय के सत्याग्रही काफी आक्रोशित है। केवल एक पहर भोजन करके पांव-पांव चलते और बढ़ते चले जा रहे थे। इनके गुस्सा होना स्वाभाविक है। आजतक सरकार ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति और आवासीय भूमि अधिकार कानून को कानून का रूप नहीं दे सकी है। इसके आलोक में जन संगठन एकता परिषद की महत्वपूर्ण बैठक 15 नवम्बर से दिल्ली में होने जा रही है। बैठक में शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार पर दबाव डालने का प्रयास के सिलसिले में किसी तरह के सत्याग्रह करने पर निर्णय लिया जा सकता है।
ग्वालियर से दिल्ली तक जनादेश 2007 सत्याग्रह पदयात्राः
जनादेष 2007 के बैनर के तले और जनादेश के महानायक पी.व्ही.राजगोपाल के नेतृत्व में 25 हजार की संख्या में वंचित समुदाय पांव-पांव चलकर दिल्ली पहुंचे। 29 अक्तूबर,2007 को रामलीला मैदान में राजद के प्रतिनिनिधित्व करने वाले पूर्व केन्द्रीय गा्रमीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह पहुंचे। उनको प्रधानमंत्री ने बतौर प्रतिनिधि के रूप में भेजा। रामलीला मैदान में आकर पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति बनाने की घोषणा कर दिये। राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति के सदस्यों ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनायी। राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष बतौर प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति थमा दी गयी। मगर स्लो चलने और वर्क करने वाले पी.एम.ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को कानून बनाने की दिशा में पहल नहीं। जो आज भी प्रधानमंत्री की विफलता दर्शाती है।
ग्वालियर से दिल्ली तक जन सत्याग्रह 2012 सत्याग्रह पदयात्राः
जन सत्याग्रह 2012 के बैनर तले और जन सत्याग्रह के महानायक पी.व्ही.राजगोपाल के नेतृत्व में 50 हजार की संख्या में वंचित समुदाय ग्वालियर से पैदल-पैदल चले। इनको दिल्ली की ओर बढ़ने नहीं दिया गया। यह माहौल बनाया गया। खुद 11 अक्तूबर,2012 को मोहब्बत की नगरी में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश पहुंच गये। लम्बे-चौड़े भाषण दिया गया। भूमि पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश की अध्यक्षता में कमिटी बनायी गयी। 6 माह का समय निर्धारित किया गया। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने जयराम रमेश ने एडवाइजरी जारी किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एडवाइजरी प्रेषित किया गया। न केन्द्रीय और न ही राज्य सरकार राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति और आवासीय भूमि अधिकार कानून पहल करके कानून बनायी जा रही है।
एकता परिषद ने सुझाया है आवासीय भूमि अधिकार कानून (2013)
इस कानून के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में उन गरीब परिवारों को भूमिहीन तथा आश्रयहीन माना गया है, जिनके पास वैधानिक तौर पर कोई भी आवासीय भूमि नहीं है। इन सभी परिवारों के लिए प्रस्तावित आवसीय भूमि का तात्पर्य ऐसी भूमि से है जो परिवार अथवा व्यक्ति के लिए निजी उपयोग हेतु सुनिश्चित हो। प्रत्येक भूमिहीन तथा आश्रयहीन परिवार को न्यूनतम 10 डिसमिल (4400 वर्ग फीट) भूमि का आबंटन किया जायेगा। यह भूमि, वंशानुगत प्रक्रियाओं को छोड़कर अहस्तांतरणीय होगी।
उपरोक्त प्रक्रियाओं को पूर्ण करने हेतु इस कानून की अधिसूचना जारी होने के 6 माह के भीतर सभी राज्य सरकारें क्रियान्वयन की नीति और नियोजन प्रस्तुत करेंगी। जिसके तहत ग्राम सभा द्वारा प्रस्तुत सूची के अनुसार जिला प्रशासन का दायित्व योग्य परिवारों को न्यूनतम 10 डिसमिल भूमि का आबंटन करना होगा। राज्य प्रशासन की ओर से इन प्रक्रियाओं में होने वाले विवादों के निपटारे हेतु उपयुक्त न्यायिक निकायों की स्थापना भी की जायेगी। आवासीय भूमि का अधिकार, वयस्क महिला सदस्य के नाम पर किया जायेगा।
उन परिस्थितियों में जहां वयस्क महिला सदस्य नहीं है भूमि का आबंटन वयस्क पुरूष के नाम पर किया जायेगा। इस प्रक्रिया में महिला मुखिया आधारित परिवार, एकल महिला, अनुसूचित जाति,अनुसूचित जन जाति, घुमंतु जनजाति तथा विकलांग परिवारों को विशेष प्राथमिकता दी जायेगी। इस कानून के वित्तीय प्रबंधन के लिए भारत सरकार की भागीदारी 75 प्रतिशत तथा राज्य सरकारों की भागीदारी 25 प्रतिशत होगी। ग्राम पंचायतों का दायित्व होगा कि सभी भूमिहीन तथा आश्रयहीन परिवारों का पहचान करके ग्राम सभा से अनुमोदन करके सूची तैयार करे और इसे विकासखंड तथा जिला पंचायतों को प्रस्तुत करे।
इस कानून के क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक जिला स्तर पर अधिसूचना जारी की जायेगी तत्पश्चात् चिन्हित परिवारों को दो वर्ष के भीतर भूमि का आबंटन सुनिश्चित किया जायेगा। किसी भी राज्य और जिला स्तर पर यह कानून अधिकतम 5 वर्ष के भीतर पूर्णतः लागू कर दिया जायेगा। राज्य सरकारों का यह दायित्व होगा कि नयी आबादी बस्तियों में पेयजल तथा अन्य नागरिक सुविधाएं भी मुहैया करायें। भारत सरकार द्वारा इस कानून की अधिसूचना जारी होने के पश्चात राज्य सरकार के स्तर पर इसे लागू करने हेतु नियमों का निर्धारण 6 माह के भीतर किया जायेगा।
एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी शिरकत करेंगेः
सर्वविदित है कि एकता पषिद के राष्ट्रीय संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी पटना में रहते हैं। एकता परिषद की राष्ट्रीय स्तर की बैठक में भाग लेने के लिए प्रदीप प्रियदर्शी दिल्ली जाएंगे। अभी राष्ट्रीय संयोजक का प्रयास हो रहा है। बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रमई राम और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव से मिलकर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के द्वारा अग्रसारित एडवाइजरी पर क्या कदम उठाएं गये हैं। उनकी जानकारी रू-ब-रू होकर लें।