अति आहार अक्सर जुखाम को तीव्र बनाता है। अतः उपवास या नियंत्रण मात्रा में आहार द्वारा जुखाम को टाला जा सकता है या उसकी तीव्रता को कम किया जा सकता है।
जैसे ही रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखें एक समय का भोजन टाल दें। नेति-कुंजन करें तथा कुछ ऊर्जावर्धक प्राणायाम का अभ्यास करें। फिर अदरक, काली मिर्च व दालचीनी की चाय पीकर आराम करें। संभव हो तो मौन रह कर बातचीत में खर्च होने वाली ऊर्जा को बचाने का प्रयास करें।
यदि उपर्यक्त सावधानियां बरती जाएँ तो जुखाम की रोकथाम हो सकती है और तीव्रता में निश्चित ही कमी आ सकती है। जब बहुत तीव्र लक्षण हो तो इस प्रारंभिक चरण मे जुखाम छूत के रोग की तरह फेलता है। ऐसी स्थिति में एकांतवास और आराम करन आपके दूसरों के लिए लाभदायक सिद्व होंगे। रोग की अवस्था में भारी आहार और शारीरिक परिश्रम जारी रखने से हालात गंभीर हो सकते हैं। एस्प्रीन आदि दवाएं लेकर सामान्य कार्यकलाप चलाते रहें नहीं तो जुखाम अपने भयंकर रूप् में आ सकता है। फिर यह गंभीर अवस्था 5-6 दिनों तक बनी रह सकती है। अनेक अवस्थाओं में जुखाम का दौर हल्का होता है और रोगी अपने दैनिक कार्य सामान्य रूप से करता रहता है। ऐसी स्थिति में रोज कंुजन और 2-3 बार नेति का अभ्यास करने से नाक के अवरोधक दूर होते हैं तथा खाँसी व अन्य तकलीफों में राहत मिलती है। यदि बुखार और अन्य शारीरिक गढबडि़यां अनुभव हो तो बिस्तर में आराम करें। साथ ही एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस डालकर हर दो घंटे में लें। बुखार की अवस्था में कुंजल – नेति न करें। योग निंद्रा और अंतरमौन के सिवाय अन्य योग साधना बंद कर देनी चाहिए।
अन्य उपाय और सुझावः
1. जुखाम के दौरान फलों की प्रचुरता वाला हल्का सुपाच्य भोजन अच्छा होता है, किन्तु कमजोरी होने पर तरल आहार लेना अच्छा होगा। गाजर, धनिया पत्ती, टमाटर आदि सब्जियों का गरम सूप सेवन करें विटामिन-ए और सी से भरपूर खाद्य पदार्थ लेना फायदेमंद है।
2. नाक के अवरोध की अवस्था में भाप लेने से फायदा होता है। इससे सिर में हल्कापन अनुभव होता है और सांस लेने में कोई कठिनाई नहीं होती। खाँसी गले की खरास जैसी तकलीफ में गरम, नमकीन पानी के गरारे करना अच्छा होता है।
3. जुखाम की अवस्था में धम्रपान से मुश्किलें और भी बढ़ जाती है तो इसे बंद कर देना ही उचित होगा। धुम्रपान कर रहे लोगों से भी दूर ही रहें तो बेहतर होगा, यह धुआँ भी नुकसान के लिए काफी होता है।
4.यदि स्वस्थ अवस्था में ही सूर्यनमस्कार का दैनिक अभ्यास करें तो खाँसी और जुखाम होने की संभावना घट जाएगी।
5.जुकाम के बेहतर उपचार के लिए शहद के साथ तुलसी के पत्तों का रस मिला कर उसका सेवन करे जल ही आराम मिलेगा।
6. जुकाम के उपचार के लिए अदरक को हरी चाय के तीन पत्ते और तुलसी के तीन पत्ते पानी में उबाल कर उसका जूसए दूध या पानी के साथ मिला सेवन करे। अदरक के सीने और तलुओ में चेसोल तेल ;आयुर्वेदिकद्ध की मालिश करें। चाहे तो आप इसमें ओलिवोइल का मिलकर भी मालिश कर सकते हैए आपको जल्द ही आराम मलेगा।
7. जुकाम तेज हो तो रात में सोते समय छाती पर गरम सरसों तेल की मालिश करें। एक चम्मच शहद मे एक चुट्की हल्दी मिला कर चाटने से इससे छाती साफ़ रहती है।
8. तेज जुकाम में अगर नाक बह रही हो तो इसके उपचार के लिए काली मिर्चए अदरकए तुलसी को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार लें। नाक बहना रुक जाएगा।
9. गले में खराश या सूखा कफ होने पर अदरक के पेस्ट में गुड़ और घी मिलाकर खाएं। आराम मिलेगा। तुलसी के साथ शहद हर दो घंटे में खाएं। कफ से छुटकारा मिलेगा।
10. नहाते समय शरीर पर नमक रगड़ने से भी जुकाम या नाक बहना बंद हो जाता है।
जुकाम के बेहतर उपचार के लिए शहद के साथ तुलसी के पत्तों का रस मिला कर उसका सेवन करे जल ही आराम मिलेगा।