जम्मू -कश्मीर: कश्मीर घाटी में पुलवामा हमले पर व्यापक प्रदर्शनों और हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बाद एहतियाती कदम के तौर पर जम्मू शहर में शुक्रवार को कर्फ्यू लगा दिया गया। इस हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए। अधिकारियों ने बताया कि सेना ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में प्रशासन की मदद करने का अनुरोध किया और फ्लैग मार्च किया। अधिकारियों ने बताया कि साम्प्रदायिक हिंसा की आशंका के चलते कर्फ्यू लगाया गया है। लाउडस्पीकरों पर कर्फ्यू लागू होने की घोषणा होने के बाद भी प्रदर्शनकारी लौटे नहीं, खासतौर से पुराने शहर में।
जम्मू के पुलिस उपायुक्त रमेश कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”हमने एहतियाती कदम के तौर पर जम्मू शहर में कर्फ्यू लागू कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार, जम्मू शहर पूरी तरह बंद है और सड़कों पर कोई वाहन नहीं है। सभी दुकानें और बाजार बंद हैं। जम्मू शहर में ज्यूल चौक, पुरानी मंडी, रेहारी, शक्तिनगर, पक्का डंगा, जानीपुर, गांधीनगर और बक्शीनगर समेत दर्जनों स्थानों पर लोगों ने पाकिस्तान के विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए। कुछ खबरों के मुताबिक, गुज्जर नगर इलाके में झड़पें हुई और पथराव के कारण कुछ वाहन क्षतिग्रस्त हुए। हालांकि पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बड़ी झड़प होने से रोक दी।
पाकिस्तान विरोधी, आतंकवादी विरोधी नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने कई सड़कों पर टायर फूंके। प्रदर्शनकारियों ने बदले की मांग करते हुए सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। बजरंग दल, शिवसेना और डोगरा फ्रंट के नेतृत्व में लोगों ने शहर में कैंडल मार्च निकाला और पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन किए। जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जेसीसीआई) ने गुरुवार को आतंकवादी हमले का विरोध करते हुए जम्मू में बंद का आह्वान किया था।
पुलवामा हमले का विरोध करते हुए जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय बार संघ ने उच्च न्यायालय और अधिकरणों समेत जम्मू में सभी अदालतों में काम स्थगित कर दिया। बार संघ, जम्मू के अध्यक्ष बी एस सलाठिया ने कहा, ”पुलवामा हमले में सीआरपीएफ जवानों की शहादत के सम्मान में और शोक संतप्त परिवारों के प्रति एकजुटता एवं संवेदना जताने के लिए संघ ने कामकाज स्थगित कर दिया है।