साइबर क्राइम मामला : मृत परिजन का खाता चालू है तो हो जाएं सावधान

रायपुर : क्या आपने कभी अपने मृत परिजन का बैंक खाता बंद कराया है? नहीं कराया है तो सावधान हो जाइए, क्योंकि ऐसे खातों पर साइबर ठगों की नजर है। रायपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़  में ऑनलाइन ठगी के मामलों की जांच में पता चला है कि शातिर ठगे गए पैसों को ट्रांसफर करने में उन खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिन खातों में लंबे समय से लेन-देन बंद है और जिनके खातेदार मर चुके हैं।

आपको बता दें कि अकेले रायपुर में ही पिछले 10 महीने में दर्ज 563 प्रकरणों में 54 लाख 52 हजार रुपये ठगों ने खाते से उड़ाये हैं। पिछले साल वर्ष 2018 में दर्ज 348 केस में 24 लाख 95 हजार रुपये ठगे गए थे। रायपुर में साइबर क्राइम  के मामले हर साल बढ़ रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सबसे ज्यादा युवा के साथ पढ़े-लिखे लोग और अफसर तक ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं। साइबर ठगों से बचने के लिए पुलिस लगातार जागरूकता ई-रक्षक मिशन अभियान चला रही है, लेकिन जिस तरह से मामले बढ़ रहे हैं, उससे साफ है कि लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं।

फर्जी दस्तावेज से खोल रहे खाते

ऑनलाइन ठगी करने वाले बैंकों में फर्जी नाम-पते और दस्तावेज के जरिए खाता खुलवाते हैं, फिर इन्हीं खातों में ठगी का पैसा ट्रांसफर करते हैं। पुलिस जब ठग की तलाश में खाते की जांच करती है और उसमें दिए गए नाम-पते पर पहुंचती है तब पता चलता है कि उस नाम का कोई है ही नहीं। ऐसे में असली ठग तक पहुंचना पुलिस के लिए मुश्किल होता है।

90 फीसद मामलों में मृत लोगों के खाते जीवित

पुलिस की तफ्तीश में यह पता चला है कि 90 फीसद केस में मृत व्यक्ति के नाम का खाता जीवित (चालू) पाया गया। अफसरों का दावा है कि ऐसे खातों को बंद कर दिया जाए तो ऑनलाइन ठगी के केस अपने आप 65 फीसद कम हो जाएंगे।

खातों का डाटा बेस तैयार

ऑनलाइन ठगी के केस में अब तक इस्तेमाल बैंक खाता और मोबाइल नंबरों का पुलिस की साइबर सेल डाटा बेस तैयार कर रही है। एडिशनल एसपी (क्राइम व साइबर सेल) पंकज चंद्रा ने बताया कि डाटा बेस को संबंधित बैंकों को भेजकर इन खातों को बंद करने के लिए पत्र लिखा जाएगा। अभी तक 200 से अधिक बैंक खाता और 500 मोबाइल नंबरों की पहचान की जा चुकी है, जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधियों ने पैसा ट्रांसफर करने में किया है।

25 लाख रुपये दिलाया वापस

एएसपी क्राइम ने बताया कि पिछले 11 महीने में पुलिस ने बैंक की मदद से खाता ब्लॉक कर ठगों के हाथ में आने से पहले 25 लाख 600 रुपये ठगी के शिकार लोगों को वापस दिलाया है।