खतरे के मद्देनजर अब तक 2 लाख से ज्यादा लोग दूसरी जगह ले जाए जा चुके हैं। सेना हर हालात से निपटने के लिए तैयार है। राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई दल (एनडीआरएफ) ने भी तूफान से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारियां की हैं। बड़ी संख्या में राहत कैंप बनाए गए हैं और हेल्पलाइन शुरू की गई हैं। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने तीनों सेनाओं को तैयार रहने को कहा है।
राष्ट्रीय आपदा बचाव बल ने दावा किया है कि तीनों राज्यों में पर्याप्त संख्या में टीमें तैनात की गई हैं। ओडिशा में 28, आंध्र प्रदेश में 15 और पश्चिम बंगाल में चार टीमें तैनात की गई हैं। उधर उड़ीसा के राहत कमिश्नर ने कहा है कि हम इसे सुपर साइक्लोन से कम नहीं मान रहे हैं। उड़ीसा में 1999 में आए सुपर साइक्लोन से 10 हजार लोग मारे गए थे।
पेलिन का मतलब सफायर (नीलम) होता है। पेलिन थाइलैंड का शब्द है। बीते 4 अक्टूबर को जापान के मौसम विज्ञान विभाग ने इसे थाइलैंड की खाड़ी में मॉनिटर करना शुरू किया। इसके बाद वेस्टर्न पैसिफिक बेसिन होता हुआ अंडमान सागर पहुंचा। फिर अंडमान द्वीप के मायाबंदर होते हुए पेलिन बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ गया। यहां इसे मॉनिटर करने के बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इसे पेलिन नाम दिया।
भारतीय मौसम विभाग मुताबिक, तूफान अभी गोपालपुर से 200 किलोमीटर दूर है। टकराने के 12 घंटे बाद यह कमजोर पड़ेगा। इसके प्रभाव से ओडिशा और आंध्र में भारी बारिश की संभावना है। 210 से 220 किमी/घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी।
यह तूफान पहले से अधिक खतरनाक हुआ है। इससे 600 मीटर अंदर आ सकता है समुद्र। ख़बरों के मुताबिक़ जानकारी मिली है कि पेलिन अमेरिका में 2005 में आए तूफान कटरीना से भी ज्यादा तबाही मचा सकता है, जिसने 1,800 लोगों की जान ली थी। इस वजह से लोगों में इस तूफान को लेकर दहशत फैल गई है।