टुंडा आतंकी संगठन लश्कर-ए- तैयबा के अलावा जैशे मोहम्मद और मरकज अल दावा (अब इसका नाम जमात-उद दावा है) से भी जुड़ा रहा है। वह मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का करीबी माना जाता है। भारत में 21 आतंकी मामलों में टुंडा की 20 साल से तलाश थी। सूत्र बता रहे हैं कि टुंडा भारत में आतंकी वारदात करने के मकसद से आ रहा था।
अब्दुल करीम टुंडा 1993 के धमाकों के बाद वह बांग्लादेश पहुंचा और उसके बाद पाकिस्तान पहुंच गया। कराची और लाहौर में उसे रहने के ठिकाने उपलब्ध कराए गए। वह आतंकी ट्रेनिंग कैंपों में जाता था और नए आतंकियों को ट्रेनिंग देता था। जब उसके आका उसे कुछ हिदायत देतेए तो वह नेपालए बांग्लादेश या किसी अन्य देश जाता और असाइनमेंट पूरा कर लाहौर या कराची लौट आता था।
करीम टुंडा को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 80 के दशक में ट्रेनिंग दी थी अब्दुल करीम टुंडा लश्कर-ए-तैयबा का बम एक्सपर्ट है। टुंडा दाऊद और हाफिज सईद का करीबी है। टुंडा 1996 से 1998 के बीच भारत में अलग-अलग जगहों पर हुए बम धमाकों का मास्टरमाइंड रह चुका है। इतना ही नहीं 2000 से 2005 तक माना जाता था कि टुंडा मर चुका है, लेकिन 2005 let चीफ कॉर्डिनेटर अब्दुल रजाक मसूद ने गिरफ्तारी के बाद खुलासा किया था कि टुंडा अभी भी जिंदा है। उसने खुलासा किया था कि टुंडा जिंदा है और उसकी पत्नी और दो बच्चे भी हैं।