मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह कहा कि इंटरव्यू क्योंकि दुष्कर्म मामले में चार्टशीट दाखिल करने के बाद दिया गया था। लिहाजा कानून के अंतर्गत उसे बतौर सुबूत नहीं इस्तेमाल किया जा सकता है। पीठ ने यह आदेश दिल्ली सरकार की उस याचिका पर दिया, जिसमें हाई कोर्ट के 7 मार्च के निर्णय को चुनौति दी गई थी। हाई कोर्ट ने एक समाचार चैनल पर 4 जनवरी को प्रसारित दुष्कर्म पीडि़ता के पुरूष मित्र के इंटरव्यू की सीडी को बतौर साक्ष्य इस्तेमाल करने की इजाजत प्रदान की थी।
उच्च न्यायलय ने मामले के दिंवगत आरोपी राम सिंह और मुकेश की दलील को स्वीकार कर निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया था। निचली अदालत न इंटरव्यू की सीडी को इंटरव्यू के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत देने से मना कर दिया था। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो उच्च न्यायलय के आदेश पर 22 मार्च को रोक लगा दिया था।