नई दिल्ली : दिल्ली NCR में मुफ्त पानी की योजना को सरकार भले ही अपनी बड़ी कामयाबी बताती रही है हो पर जल बोर्ड के खजाने पर इसका असर दिखने लगा है। स्थिति यह है कि जल बोर्ड को पानी आपूर्ति से होने वाली कमाई से अपने कर्मचारियों का वेतन निकालना मुश्किल हो रहा है। सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी के अनुसार खर्च की तुलना में पानी आपूर्ति से राजस्व कम मिलने के कारण जल बोर्ड को दो साल में करीब 808 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है।
आपको बता दें कि इसका कारण सातवें वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों का वेतन बढ़ना बताया गया है। जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस घाटे की भरपाई के लिए ही पानी की दरों में 20 फीसद की बढ़ोतरी की थी। फरवरी से लोगों के पास पानी का बढ़ा हुआ बिल पहुंच रहा है।
RTI के जवाब के अनुसार 2013-14 से वर्ष 2015-16 तक जल बोर्ड को एक पैसे का घाटा नहीं हो रहा था। इसके बाद वर्ष 2016-17 में 533 करोड़ व वर्ष 2017-18 में 275 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इस बारे में जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वेतन बढ़ोतरी के बाद अचानक खर्च ज्यादा बढ़ गया, जबकि तीन सालों से पानी के बिल में बढ़ोतरी नहीं की गई थी।
दिल्ली हाईकोर्ट भी दिल्ली में मुफ्त पानी नीति को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार की आलोचना कर चुका है। हाईकोर्ट ने 24 मई को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई थी। कार्यकारी मुख्य जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरी शंकर की बेंच ने कहा था कि किसी को भी मुफ्त में कुछ नहीं दिया जाना चाहिए। 10 पैसा या 1 पैसा चार्ज करिए। वास्तव में जरूरतमंद लोगों के अलावा किसी को कुछ फ्री नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब वरिष्ठ वकील और एमिकस क्यूरी राकेश खन्ना ने इस मुद्दे पर अदालत के हस्तक्षेप की मांग की थी।
दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड की ओर से पेश हुए वकील दयान कृष्णन ने मुफ्त पानी नीति का बचाव किया था। उन्होंने कहा था कि इसमें पानी का संरक्षण सुनिश्चित है क्योंकि मुफ्त इस्तेमाल के लिए 20 हजार किलो लीटर की सीमा है।
हालांकि बेंचल ने कहा कि कई ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने तय सीमा से ऊपर अवैध तरीके से कई मंजिल बनवा ली हैं। ऐसे लोग भी मुफ्त पानी का लाभ ले रहे हैं जबकि वे इसका बिल चुकाने में सक्षम हैं। वहीं कोर्ट ने कहा कि अगर सिर्फ गरीब बस्तियों में रहने वाले लोगों को राहत मिलती तो समझा जा सकता था। अब मामले में अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।