धारा 370 हटने के बाद केंद्र शासित राज्य बने जम्मू-कश्मीर की परिसीमन समिति ने रिपोर्ट तैयार कर ली है. जम्मू कश्मीर परिसीमन समिति का कार्यकाल फरवरी महीने में 2 महीने के लिए बढ़ाया गया था जो कल खत्म हो रहा है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा भी इस डीलिमिटेशन कमेटी का हिस्सा है. मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल भी 14 मई को खत्म हो रहा है. इस वजह से उम्मीद की जा रही है जम्मू कश्मीर डीलिमिटेशन कमेटी आज की बैठक के बाद अपनी फाइनल रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंप देगी.
समिति 90 सीटों को लेकर सरकार को सौंपेगी रिपोर्ट
इस डीलिमिटेशन के सामने जम्मू कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा सीटों के परिसीमन का काम था. जिसमें आज विधानसभा की सीटों के परिसीमन की रिपोर्ट दी जाएगी. राज्य की कुल 83 सीटों को बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव है जिसमें जम्मू की 37 सीटों को बढ़ाकर 43 करने का और कश्मीर की 47 सीटों को बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव है. हालांकि वैसे तो अखंड जम्मू कश्मीर में कुल 114 सीटों की बात की जा रही है लेकिन इन 114 में से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर में है. इस वजह से जम्मू कश्मीर डीलिमिटेशन कमिशन फिलहाल 90 सीटों को ही लेकर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 1995 में हुआ परिसीमन
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था. उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं. वर्तमान में प्रदेश में 20 जिले हैं और 270 तहसील हैं. पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था. जबकि इस बार परिसीमन आयोग ने 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का काम किया है.
कश्मीरी पंडितों का भी प्रतिनिधित्व
माना जा रहा है कि नए विधानसभा में कश्मीरी पंडितों के लिए आरक्षित सीटें होंगी जिनपर कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों को मनोनीत किया जाएगा. इसके अलावा पाकिस्तान के अनाधिकृत कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित लोगों को भी विधानसभा में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. परिसीमन के तहत कई मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण किया गया है.