छत्तीसगढ़ के नलबंदी शिविरों में ऑपरेशन कराने वाली अभी तक 13 महिलाओं की मौत हो चुकी है, जबकि 58 महिलाओं की हालत बिगड़ गई है। इस पूरे मामले के आरोपी ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर आरके गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है। घटना के बाद से ही डॉक्टर फरार था।
डॉक्टर को बुधवार रात बिलासपुर से 80 किलोमीटर दूर बालोदा से गिरफ्तार किया गया। बाद मे डॉक्टर को बिलासपुर लाया गया, जहां उससे पूछताछ की जा रही है। डॉक्टर गुप्ता को 26 जनवरी के मौके पर इसी साल हेल्थ मिनिस्टर अमर अग्रवाल ने 50 हजार सर्जरी करने के लिए सम्मानित किया था।
गिरफ्तारी के बाद डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि मैं पूरी तरह से बेकसूर हूं। मुझ पर टारगेट पूरा करने का दबाव था। गुप्ता के मुताबिक, सभी महिलाओें की सर्जरी सही हुई थी, लेकिन जो दवाएं उनको दी गई, उसकी वजह से उनकी तबीयत बिगड़ी।
डॉ.रमणेश मूर्ति (एमएस, सिम्स) के मुताबिक, महिलाएं पीड़ित क्यों हुईं, यह तो ब्लड कल्चर रिपोर्ट देखने के बाद ही बताया जा सकता है। फिलहाल उल्टियां और बेहोशी रोकने के लिए एंटीबॉयोटिक दवाइयां दी जा रही हैं। लेकिन, सुनीता मित्तल (एम्स दिल्ली में पूर्व एचओडी, गायनेकोलॉजी) का कहना है कि उल्टियों का सीधा इशारा दवाइयों के साइड इफेक्ट की ओर है। सर्जिकल कारणों से इतनी जल्दी मृत्यु नहीं होती।
बिलासपुर में नसबंदी के बाद महिलाओं को दी गई एंटीबायोटिक्स में से एक सिप्रोफ्लोक्सेसिन बैन है। और तो और, यह दवा रायपुर के खम्हारडीह की एक फैक्ट्री में बनी थी।
बता दें कि यह एक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी थी और संयोग से यह कैंप छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के चुनाव क्षेत्र बिलासपुर में लगाया गया था। इस घटना को लेकर छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक विरोध तेज हो रहा है। कांग्रेस प्रदर्शन कर रही है और अब हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए मामले पर रिपोर्ट तलब की है।