नोएडा की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को सस्पेंड किए जाने का विवाद बढ़ता जा रहा है और राज्य की राजनीति गर्मा गई है। ग्रेटर नोएडा की एसडीएम और IAS अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर पुनर्विचार को यूपी सरकार तैयार हो गई है। इस मामले में यूपी सरकार की काफी किरकिरी हो रही थी।
IAS दुर्गा शक्ति नागपाल की पहली पोस्टिंग ग्रेटर नोएडा में हुई। वह सब.डिविजनल मैजिस्ट्रेट (एसडीएम ) बनकर आई थीं। इनकी पोस्टिंग के मुश्किल से 6 महीने हुए थे कि अखिलेश यादव सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया। शनिवार को नागपाल ने ग्रेटर नोएडा में अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाई जा रही मस्जिद की दीवार को तोड़ने का आदेश दिया था। उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार का कहना है कि नागपाल ने रमजान के पवित्र महीने में मुश्किल में डाल देने वाला फरमान जारी कर किया था।
अखिलेश यादव का कहना है कि सांप्रदायिक तनाव से बचने के लिए हमें यह फैसला लेना पड़ा। मुख्यमंत्री के इस फैसले पर यूपी IAS असोसिएशन ने नाराजगी जताई है। लेकिनए कहा यह भी जा रहा है कि नागपाल माइनिंग माफिया की आंख की किरकिरी बन गईं थी। नागपाल की मुहिम से माइनिंग माफिया के धंधे पर चोट लगी थी और अब किसी और मामले में उनपर कार्रवाई की गई थी।
दुर्गा को सस्पेंड किए जाने के विरोध में यूपी IAS एसोसिएशन के पदाधिकारी राज्य के कार्यकारी मुख्य सचिव से मुलाकात की है। इसके बाद कहा जा रहा है कि सरकार अधिकारी के निलंबन पर पुनर्विचार को तैयार हो गई है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इस बारे में जानकारी नहीं थी कि यह अधिकारी ईमानदारी से बालू माफिया पर कार्रवाई कर रही है और इस वजह से तमाम लोगों का हित उन्हें वहां से हटाने में है।