पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पायलट प्रोजेक्ट के तहत IIT रूड़की के उत्तरकाशी से जोशीमठ (चमोली) के बीच सौ किलोमीटर के दायरे में एक अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इससे भू-गर्भ में होने वाली हलचल के बारे में आयानी से जानकारी मिल सकेगी।
विशेषज्ञों की माने तो इसकी सहायता से सात रिक्टर स्केल या इससे ऊपर के भूकंप की चेतावनी दी जा सकेगी। हालांकि यह अलार्मिक सिस्टम भूकंप आने से कुठ समय पहले ही चेतावनी दे सकेगा, लेकिन इससे जान-माल की क्षति को कम करने में मदद मिलेगी। प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तराखंड को भूकंप की आशंका की सूचना मात्र 25 सेकंड में मिल जाएगी, जबकि 80 सेकंड के भीतर दिल्ली को भी अलर्ट किया जा सकेगा।
करीब तीन करोड़ रूपये के इस प्रोजेक्ट को IIT का भूकंप अभियांत्रिकी विभाग पूरा करने में जुटा है। उत्तरकाशी व जोशीमठ (चमेली) के बीच लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में 100 सेंसर लगाए जाएंगे।
सेंसर के साथ लोगों को अलर्ट करने के लिए अन्य यंत्र भी स्थापित किए जाएंगे। ये सिस्टम सिर्फ सात रिक्टर स्केल तक के भूकेप इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अशोक माथुर ने बताया कि अर्ली वार्निग सिस्टम से आनलाइन डाटा आधा सेकंड के भीतर आटोमैटिकली कंट्रोल रूम को मिल जाएगा।
भूकंप इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मुकुललाल शर्मा ने बताया कि आनलाइन डाटा प्राप्त करने के लिए BSNLव नेशनल इंफारमेटिक सेंटर से संपर्क साधा गया है। प्रो. अशोक माथुर ने बताया कि गांव व क्षेत्रों में लगने वाले इस सिस्टम की देखरेख करने वाले आठ सौ रूपये प्रति माह दिया जाएगा।