विदेश सचिव सुजाता सिंह ने पाकिस्तान से साफ तौर पर कहा था कि वह इस बात का चुनाव कर ले कि उसे भारत से बात करनी है या अलगाववादियों से, इसके बावजूद यहां पाकिस्तान के आला दूत ने अलगाववादियों से बात की। भारत ने कहा, ‘इसलिए, मौजूदा हालात में..भारतीय विदेश सचिव के अगले सप्ताह इस्लामाबाद जाने से कोई मकसद हल नहीं होगा।’
विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया, ‘भारतीय विदेश सचिव ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त (अब्दुल बासित) को साफ और बेलाग अंदाज में कह दिया था कि भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने के पाकिस्तान के निरंतर प्रयास अस्वीकार्य हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इस बात को रेखांकित किया गया था कि पाकिस्तानी उच्चायोग की हुर्रियत के इन तथाकथित नेताओं के साथ मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मई में सत्ता संभालने के ठीक पहले दिन शुरू किए गए सार्थक कूटनीतिक प्रयासों को कमजोर करेगी।’
भारतीय विदेश सचिव सुजाता सिंह को 25 अगस्त को अपने पाकिस्तानी समकक्ष एजाज चौधरी के साथ बात करने इस्लामाबाद जाना था। नियंत्रण रेखा के आसपास की घटनाओं के चलते दोनो देशों के बीच बातचीत का सिलसिला तकरीबन दो साल पहले थम गया था।
प्रवक्ता ने कहा, ‘ऐसे समय पर जब भारत सरकार द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में गंभीर पहल कर रही थी, जिसमें नियमित वार्ता प्रक्रिया फिर बहाल करने का प्रयास भी शामिल है, पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने हुर्रियत के तथाकथित नेताओं को आमंत्रित करके पाकिस्तान की नीयत पर सवालिया निशान लगाया, और इससे उनकी नकारात्मक विचारधारा और भारत के अंदरूनी मामलात में लगातार दखल देने के प्रयासों का भी पता चलता है।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सामने एक ही रास्ता है कि वह शिमला समझौते और लाहौर घोषणापत्र के दायरे के भीतर और इसके सिद्धांतों के अनुरूप शांतिपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता के जरिए लंबित मसले हल करे।
प्रवक्ता ने कहा, ‘इसीलिए मौजूदा हालात में यह सोचा गया कि अगले सप्ताह भारतीय विदेश सचिव के इस्लामाबाद जाने से कोई मकसद हल नहीं होगा। विदेश सचिव का वार्ता के लिए 25 अगस्त का इस्लामाबाद दौरा रद्द किया जाता है।’’ इस्लामाबाद में बातचीत से पहले बासित ने कश्मीर के पृथकतावादी नेताओं को यहां ‘सलाह मशवरे’ के लिए आमंत्रित किया था।
पाकिस्तान के दूत इससे पहले भी भारत के साथ किसी बड़ी कूटनीतिक पहल से पहले कश्मीर के पृथकतावादियों से बात करते रहे हैं। हालांकि पाकिस्तान ने अपनी यह रवायत तब तोड़ी जब प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इस वर्ष मई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने भारत आए।