नई दिल्ली : कुख्यात विकास के खास जय बाजपेई की अवैध सम्पत्तियों को लेकर ईडी ने जांच शुरू कर दी है। ईडी दफ्तर में पहुंचे एडवोकेट सौरभ भदौरिया ने अपने बयान दर्ज कराए। इस दौरान ईडी ने कई सूचनाएं लीं। अधिकारियों ने यह भी जानकारी दी कि जय ने खुद को बचाने के लिए अपराधिक मामलों में दर्ज रिपोर्ट में पिता का नाम गलत दर्ज कराया है। भदौरिया ने ईडी को जय से कारोबारी रिश्ता रखने वाले और विकास दुबे के साथ उसकी मदद करने वाले व्यापारियों, सफेदपोश और पुलिसकर्मियों के नाम भी दिए। इसमें 16 पुलिस कर्मचारी हैं व 16 में नेता, व्यापारी और उसके भाइयों के नाम शामिल हैं ।
सौरभ भदौरिया लखनऊ स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर पहुंचे। उन्होंने जय के खिलाफ दर्ज एफआईआर समेत अन्य दस्तावेजों की कॉपी सौंपी। ईडी के अधिकारियों ने एडवोकेट को बताया कि सन 2010 से 2016 के बीच जो अपराधिक मामले दर्ज हुए उनमें जय के पिता का नाम बब्बू बाजपेई लिखा हुआ है। जबकि उनका असली नाम लक्ष्मीकांत बाजपेई है। ईडी के अधिकारियों ने एडवोकेट को बताया कि ऐसा जय ने खुद को बचाने के लिए किया है। इसके बाद एडवोकेट ने जय और उसके गुर्गों की 17 सम्पत्तियों की सूची ईडी को सौंप दी। जिनमें सरकार को धोखे में रखकर राजस्व की हानि की गई।
ईडी के अधिकारियों ने एडवोकेट से पूछा कि जय इतने कम समय में करोड़पति कैसे बन गया। इस पर एडवोकेट ने 17 नामों की सूची सौंपी जिसमें जय के भाई समेत वह सभी सफेदपोश शामिल हैं। जिन्होंने जय के काले धंधे में पैसा लगाकर उसे करोड़पति बनने में मदद की।
एक अधिकारी समेत 16 पुलिस कर्मियों की भी होगी जांच
ईडी को कुछ ऐसे दस्तावेज भी सौंपे गए हैं जिसमें एक अधिकारी समेत 16 पुलिस कर्मियों की सम्पत्तियों का भी ब्योरा दिया गया है। यह वह लोग हैं जिन्होंने जय के अपराधिक मामलों में उसे राहत देने का काम किया है। जिसके एवज में उन्हें किसी न किसी तरह से फायदा पहुंचाया गया है। इसपर ईडी के अधिकारियों ने एडवोकेट से यह भी पूछा कि जब जय बाजपेई के खिलाफ शासन में इतनी शिकायतें हुई तो उसके खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई। जिसपर एडवोकेट ने कुछ और प्रभावशाली लोगों के नाम बताए। एडवोकेट ने बताया कि गुरुवार को उन्हें एसआईटी ने फिर से पूछताछ के लिए बुलाया है।