बिहार में शिक्षा को लेकर फर्जीवाड़ा उधोग बदस्तूर आज भी जारी है।भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र अवस्थित पैर पसारे कुछ शिक्षा माफियाओं के रोजगार बस इसी प्रकार फर्जीवाड़ा उधोग के बदौलत वर्षों से चलते आ रहें हैं,जिसके अंतर्गत ये माफिया कई स्कूलों और कॉलेजों में एजेंट के रूप में मौजूद है,जो पैसे के बल एक साथ,एक ही सत्र में,कई अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में फर्जी कागजातों व प्रमाण-पत्रों के माध्यम से ये लोग स्थानीय व बाहर के परीक्षार्थियों को गैर-कानूनी तरीके से पहले तो नामांकन करवाते हैं ,फिर उसे परीक्षा में कदाचार के माध्यम उत्तीर्ण करवाने का लोभ देकर फाँस लेते है। इस प्रकार इन शिक्षा-माफियाओं की धड़ल्ले से चांदी कटती है।
शिक्षा के इस गैर-कानूनी व्यवसाय में मुख्य रूप से भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के बिहार अवस्थित अररिया,फारबिसगंज,जोगबनी,बीरपुर,नरपतगंज आदि के सरकारी व गैर-सरकारी सीबीएसई तथा बिहार परीक्षा बोर्ड मान्यता प्राप्त विद्यालय,महाविद्यालय शामिल हैं।
इसी क्रम में मेघा चौधरी पिता सरोज चौधरी नामक एक नेपाली छात्रा को लेकर फारबिसगंज देवराहा बाबा महाविद्यालय तथा मिथिला पब्लिक स्कूल बथनाहा सर्व-प्रथम तब चर्चा में आया जब इसी सीमावर्ती क्षेत्र बिराटनगर,नेपाल स्थित ”महेंद्र मोरंग कॉलेज” के प्राचार्य सरोज चौधरी स्वंय इस गैर-कानूनी कार्य में संलिप्त पाये गए। इस बात का खुलासा तब हुआ जब मेघा चौधरी नाम की इंटर बायो-साइंस छात्रा जो कि मिथिला पब्लिक स्कूल बथनाहा, अररिया की एक्स कंडिडेट है, का नामांकन दुबारा बिहार परीक्षा बोर्ड पाठ्यक्रम अंतर्गत फारबिसगंज के देवराहा बाबा महाविद्यालय में इस दृष्टिकोण से करवाया गया ताकि उक्त छात्रा एक ही सत्र में,एक ही डिग्री की एक ही विषय की परीक्षा,बिहार परीक्षा बोर्ड पाठ्यक्रम और सीबीएसई बोर्ड दोनों की परीक्षा दे सके,तथा दोनों जगहों में सफलता भी पा सके।
दर-असल इस छात्रा का असली मकसद क्या है यह तो वही जाने किन्तु मेघा चौधरी के पिता सरोज चौधरी जो कि खुद बिराटनगर नेपाल अवस्थित महेंद्र मोरंग कॉलेज के प्राचार्य हैं,वावजूद उन्होंने खुद अपनी ही बेटी की परीक्षा इस प्रकार गैर-कानूनी तरीके से करवाने जैसा हरकत किया है। मेघा चौधरी पिता सरोज चौधरी ने फारबिसगंज अवस्थित देवराहा बाबा महाविद्यालय जिसका केंद्र संख्यां 92004 है के अंतर्गत अपने रौल न0. 10040 के द्वारा इंटर बायो-साइंस की परीक्षा,इसी सत्र के इसी माह में बिहार परीक्षा बोर्ड पाठ्यक्रम से दे चुकने के बाद अब वह फिर दुबारा इसी डिग्री इंटर बायो-साइंस की ही परीक्षा दूसरे पाठ्यक्रम सीबीएसई बोर्ड से एक अन्य विद्यालय मिथिला पब्लिक स्कूल बथनाहा से वहां के रौल नंबर 7600230 के माध्यम से भी दे चुकी है,जो साफ़ तौर पर गलत बताया जाता है।
अब सवाल यह उठता है कि,क्या एक परीक्षार्थी एक ही वर्ष में,एक ही डिग्री के लिए,एक ही विषय से दो पाठ्यक्रम की परीक्षा दो अलग-अलग विद्यालयों से दे सकता है? अगर दे भी तो क्या एक साथ दोनों डिग्रियों को सरकार मान्यता देगी ?फिर अगर दे दे ,तो इसका मतलब एक व्यक्ति एक साथ दो सरकारी नौकरी भी कर सकने में कामयाब हो सकता है।