विधानसभा चुनाव से लगभग दो महीने पहले हुए कर्नाटक स्थानीय निकायों के चुनाव के नतीजे ने बीजेपी के लिए खतरा बढ़ा दिया है। इन चुनावी परिणामों से यह साफ हो गया है कि बी. एस. येदुयुरप्पा के अलग होने की वजह से बीजेपी को विधानसभा चुनाव में भरी नुकसान हो सकता है। हालांकि येदुरप्पा को भी इस चुनाव में अपेक्षाकृत ज्यादा सींटे नहीं मिली हैं, लेकिन इसकी वजह यह मानी जा रही है कि अभी येदुयुरप्पा की पार्टी महज तीन महीने पुरानी ही है। बीजेपी का का भी यही मानना है कि यह हार पार्टी के लिए सूचना है, लेकिन फिर भी पार्टी का यह मानना है कि विधानसभा चुनाव में नतीजे उसके पक्ष में ही आएंगे।
पिछले साल येदयुरप्पा ने बीजेपी को अलविदा कह दिया था। उसके बाद से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि कर्नाटक में बीजेपी की आगे की राह कठिन होगी। अब स्थानिय निकायों के परिणामों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव जीतना अब बहुत कठिन है हो गया है। हालांकि 2007 में हुए स्थानीय निकायों के चुनाव में बीजेपी ने जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। उस समय उसे 1180 सींटे मिली थी, लेकिन इस बार यह संख्या कम होकर 900 तक ही रह गई है। दूसरी तरफ जेडीएस ने अपने बलबूते पर इतनी ही सींटे पाई।
कर्नाटक के स्थानीय निकायों के चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सींटे हासिल की हैं, जबकि दूसरे नंबर के लिए बीजेपी और जेडीएस में बहुत कम अंतर देखने को मिले हैं। येदयुरप्पा को 270 सींटे मिली हैं। राज्य की राजनीतिक जानने वालों का मानना है कि बीजेपी के ऐसै परिणाम का कारण बीजेपी में चल रहे उनके अपसी मदभेद है। जिस कारण यहाँ की जनता बीजेपी से नाखुस दिखाई पड़ी और इसी नाराजगी के कारण लोगों को जहां भी बीजेपी का अच्छा विकल्प मिला उसे ही लोगों ने अपने वोट से चुना। इससे यह साफ हो गया है कि बीजेपी को नुकसान का फायदा कांग्रेस को मिलने जा रहा है।