2013 का आगमन होते ही दिल्ली और देश में गर्मा गर्मी का माहौल बनने लगा है कभी किसी मुद्दे को लेकर तो कभी किसी मुद्दे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस पार्टियों के बीच गर्मा गर्मी बनी ही रहती है दानों ही पार्टियां एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाती ही रहती हैं। आए दिन कांग्रस की रैलियों में खलन डालने के लिए बीजेपी हर संभव तरीके से इसका विरोध करने को तैयार रहती है। बस फर्क इतना है कि विरोध करने के तरीके बदलते रहते हैं। कभी काले झंडे दिखा कर तो कभी दिल्ली और देश को बन्द करवा कर आगे और कितने तरीके अपनाए जाएंगे यह तो वक्त ही बताएगा।
हर तरीके से इन दिनों बीजेपी खुद को कांग्रेस से ज्यादा प्रगतिशील और विकास करने वाला दिखाना चाहती है साथ ही लोगों को यह संदेश भी देना चाहती है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क हैं। बलात्कार के दोषियों को पैरोल की सिफारिश करने का मामला बीजेपी के लिए मनचाही मुराद जैसा है। चुनाव तक वह इस मसले को गरम रखना चाहेंगे क्योंकि यह उनको फायदा दिलाएगा इसी के साथ पार्टी के रणतिकारों का यह मानना है कि इस चुनाव में महिला सुरक्षा अहम मुद्दा होगा।
बीजेपी अपने हर भरसक प्रयास से इस समय यही बताना चाहती है और विश्वास दिलाना चाहती है कि बीजेपी दिल्ली और देश का ज्यादा बेहतर विकास कर सकती है और हमारी सोच अन्य पार्टियों ज्यादा मॉडर्न और ज्यादा प्रगतिशील है। इसी के बीजेपी भी यूथ को अपना राम बाण बनाने के प्रयास में लगी हुई है और इसके लिए वह यूथ को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हर भरसक प्रयास कर रही है क्योंकि दिल्ली यूथ को लुभाने के लिए तो यह बेहद जरूरी है क्योंकि यूथ सिर्फ धरने प्रदर्शन की राजनीकम से इत्तफाक नहीं रखता। बीजेपी नेता के मुताबिक विकास की बात करने के साथ ही विरोध की राजनीति में भी बैलेंस बनाकर चलना चाहिए।