उत्तराखंड में फंसे लोगों को निकालने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। मौसम थोड़ा साफ होने और महामारी का खतरा बढ़ने के बाद बुधवार को केदारनाथ में बाढ़ और बारिश की चपेट में आकर मारे गए लोगों के शवों का सामूहिक दाह.संस्कार शुरू किया गया। हालांकिए विपदा के 11 दिन बाद भी लगभग 4000 से ज्यादा लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाना अभी बाकी है। जिसके बाद बारिश की वजह बचाव का काम धीमा पड़ गया।
अभी भी यहां जगह-जगह पहाड़ी इलाकों में करीब
6000 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें निकाला जाना बाकी है। इनमें से ज्यादातर बद्रीनाथ इलाके में फंसे हैं। इससे पहले बुधवार को उत्तराखंड के कई इलाकों में तेज बारिश हुई, जिससे राहत और बचावकार्य में काफी दिक्कतें आईं। महामारी की आशंका के बीच पहाड़ पर जलप्रलय में मारे गए सैकड़ों लोगों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीएनए नमूना लेने के बाद बुधवार को केदारनाथ धाम में18 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। गुरुवार को भी शवों का दाह संस्कार किया जाएगा। गौरीकुंड के पास दुर्घटनाग्रस्त वायुसेना के हेलिकॉप्टर में सवार सभी 20 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं।
उत्तराखंड सरकार ने दावा किया कि अब तक प्रदेश में 99 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा चुका है। मौसम की चुनौतियों के बीच बचाव अभियान में जुटे अपने जांबाजों की शहादत के बावजूद सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवान विपरीत परिस्थितियों में भी अपने बुलंद हौसलों के साथ फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाते रहे हैं।
वहीं मौसम विभाग का कहना है कि उत्तराखंड में अगले 48 घंटे तक बारिश के आसार हैं। फिलहाल बड़ी चुनौती केदारनाथ और दूसरे इलाकों में फंसे शवों को निकालने और उनका अंतिम संस्कार करने की है। बुधवार को केदारनाथ में शवों का सामूहिक दाह.संस्कार शुरू किया गया, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां भी कम पड़ रहीं हैं । दरअसलए यहां बीमारियों के फैलने का खतरा है, जो इलाके में मलबे और शवों की वजह से फैल सकती हैं। हालांकि एनडीएमए अब इन शवों को निकालने के लिए जोर लगाने की बात कह रहा है।
उत्तराखंड आपदा से सम्बंधित भारतीय सेना ने एक अहम कदम उठाया है। आपदाग्रस्त उत्तराखंड में फंसे लोगों के बारे में ताजा जानकारी से अवगत कराने के लिए बुधवार को एक नई वेबसाइटए सूर्यहोप्स डॉट इन यानी www.suryahopes.in शुरू की हैं । सेना की इस वेबसाइट पर फंसे लोगों की सूचनाए हेल्पलाइन नंबर, बचा लिए गए लोगों की सूची और उनकी वर्तमान स्थिति की जानकारी भी उपलब्ध कराई गई है। केंद्रीय कमान के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्राकृतिक आपदा के कारण परेशान लोगों के लिए वेबसाइट ऐसा स्थान है, जहां उनके सारे सवालों का जवाब मिल सकता है।