क्लिीनिक चला रहे है। जिसके चलते मरीज मौत का शिकार तक बन रहे हैं। कल्याणपुर क्षेत्र में झोलाछाप इस कदर अपना धंधा जमाए है कि बाकायदा पूरा अस्पताल तक चल रहा हैं।
यहाँ ये डॉक्टर कहे जाने वाले खुलेआम बोर्ड लगाऐ चल रहे झोलाछापों के क्लीनिक बकायदा अखबारों मे देते है इस्तहार भी देते हैं और इनका ये काम कुछ असली डिग्रीधारी के संरक्षण में चल रहा धंधा।
इस इलाके में झोलाछापों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। पनकी रोड पर बतौर चर्मरोग विशेषज्ञ प्रक्टिस करने वाले ए कुमार ने तो रोड किनारे होर्डिंग तक लगा रखी है।इनकी नाम के नीचे कोई डग्री मेंशन नही है। इनकी एक मार्केट में छोटी सी दुकान में क्लिीनिक चलती है जिसमें चर्मरोग के लिए थैरिपी देने वाली मशीनें तक है।
चर्मरोग पीडि़त से थैरिपी के नाम पर अच्छी खासी मोटी फीस की रकम बसूल करते है। नाम न छापने की शर्त पर भुक्तभोगी ने बताया कि चेहरे पर मुहासे ठीक कराने को लेकर ए कुमार पांच सौ रूपए से लेकर पन्द्रह सौ रूपऐ प्रतिदिन की दवा देते है। सूत्रों के मुताबित क्रीम, लोशन, तेल आदि बिना रेपर वाली डिब्बी में देते है। जिसपर कुछ भी लिखा नहीं होता सिर्फ मार्कर से कुछ कोडवर्ड लिखे होते जिससे दवा के बारे कुछ भी पता लगा पाना मुश्किल होता है।
पुराना शिवली रोड पर कुश्वाहा डेण्टल लैब के एचपी सिंह तो कैलीफोर्नियां रिटर्न के रूप में अपनी छवि जमाए हुऐ है। एचपी सिंह एक दुकान में क्लीनिक चलाते है और इसी दुकान के पीछे डेण्टल ऑपरेशन थिएटर भी बना रखा है। एचपी सिंह बाकायदा अखबारों में विज्ञापन भी देते हैं। इनका आलम ये है कि ये हर मर्ज का चिकित्सा भी करते हैं।
विगत दिनो क्षेत्र से झोलाछाप के इंजेक्शन से बच्ची की मौत का मामला भी प्रकाश मे आया था। सहित कल्याणपुर में कई फर्जी अस्पताल भी चल रहे हैं, बारासिरोही में कुशवाहा क्लीनिक, चांदसी दवाखाना सहित कई फर्जी डाक्टर पीडि़तो के जीवन से बखूबी खिलवाड़ कर रहे है परन्तु चिकिसा विभाग और जिला प्रशासन की कोई कर्रवाई नहीं होती दिखती।
इन इलाकों में है झोलाछापः
पनकी
बारासिरोही
बिठूर
मंधना
रावतपुर गांव
मसवानपुर और आसपास के क्षेत्र
इस मुद्दे पर जब डॉक्टर कुलदीप सक्सेना (पूर्व अध्यक्ष आईएमए, कानपुर) से हमारे संवाददाता ने बात की तो उन्होंने कहा कि, डाक्टरर्स को अपने नाम के साथ अपनी डिग्री लिखनी चाहिए। मेरे संज्ञान में कुछ डॉक्टर आऐ हैं जो झोलाछापों को अपना संरक्षण देते हैं और बाकायदा उनको डॉक्टर कहकर भी संबोधित करते हैं। ऐसे डॉक्टर्स को भी मेरी राय है वो झोलाछापों से बचें, और जहां तक मेडिकल फील्ड में डिप्लोमा होल्डरर्स की बात है तो वो चिकित्सा करने के अधिकारी नहीं हैं।