भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े और पद्मश्री सम्मान लौटाने वाले प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने अब पद्मभूषण सम्मान लौटाने का भी एलान कर दिया। उन्होंने कहा मुझे नहीं चाहिए उन भ्रष्टाचरियों का सम्मान, जिन्हें 120 करोड़ जनता की फिक्र नहीं है। अन्ना हजारे का यह भी कहना है कि अब लड़ाई केवल जन लोकपाल बिल पास कराने की नहीं, बल्कि अब हम व्यवस्था परिवर्तन के लिए भी खड़े हुए हैं। इसके लिए हम जनता को जगाने निकले हैं। संकल्व लिया है कि डेढ़ साल में 6 करोड़ लोगों को संगठित करेंगे। इन 6 करोड़ लोगों ने सत्ता पर काबिज भ्रष्टाचारियों की नाक दबा दी तो उनकी सांस उखड़ने में सेकेंड भी नहीं लगेगा।
अन्ना ने अपनी ’जनतंत्र यात्रा’ के पहले चरण के समापन की पूर्व संध्या पर देहरादून पहूँचे परेड मैदान में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैंने 26 साल की उम्र में समाजसेवी का प्रण लिया था। अब तो मेरी आखिरी सांस पर भी जनता का अधिकार है। इस देश की मालिक सिर्फ जनता है, सत्ता पर काबिज भ्रष्टाचारी नहीं, लेकिन इसके लिए हमें अपनी ताकत पहचाननी होगी। उसे समझना होगा कि सत्ता पर काबिज भ्रष्टाचारी उसके नौकर है, जो कि जनता के ध्यान न देने के कारण ही अपने कर्तव्य को भूल कर भ्रष्टाचार को अपना कर्तव्य समझते है और जनता को अपने हाथ की कठपुतली। जनता को अपने अधिकार और हम न पता होने का फायदा उठाकर ही यह सब भ्रष्टाचार बेलगाम होते जा रहे हैं, और अगर कोई इनपर लगाम लगा सकता है तो वो है जनता सनार्धन की शक्ति।
वहीं पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह का कहना है कि हम अब भी नहीं जागे तो देश टूट जाएगा। भ्रष्टाचारियों ने इसे गिरवी तो रख ही दिया है। जिस व्यवस्था को हम लोकतंत्र कहकर गौरवान्वित हो रहे हैं, वह काले नाग उगल रही है और हम उन्हें दूध पिला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोई जनता, को उसकी ताकत का अहसास कराने के लिए यह जनतंत्र यात्रा निकली है। अगर हम अपना और अपने देश का हित चाहते हैं तो हमें खुद आगे बढ़कर इस भ्रष्टाचार को मिटाने का संकल्प लेना होगा।