सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला केंद्र सरकार की एक कर्मचारी काकाली घोष की याचिका पर दिया। घोष ने सरकार के उस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें उन्हें बच्चे की सीनियर सेकेंडरी परीक्षा की तैयारी करवाने के लिए 730 दिनों की छुट्टी देने से इनकार कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. जे. मुखोपाध्याय और जस्टिस वी गोपाल गौड़ा की बेंच ने इस सिलसिले में कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और महिला कर्मचारियों को लगातार 730 दिन छुट्टी लेने की इजाजत दे दी। कोलकाता हाई कोर्ट ने कहा था कि सेंट्रल सिविल सर्विसेज (लीव) के नियम बच्चों की देखभाल के लिए लगातार 730 दिनों की छुट्टी की इजाजत नहीं देते।
इस बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार के सर्कुलरों के नियम 43-सी से यह साफ है कि ऐसी महिला कर्मचारी जिनकी 18 साल से कम उम्र के बच्चे हैं वे उनकी देखभाल के लिए अधिकतम 730 दिनों की छुट्टी ले सकती हैं। यानी वे अपनी नौकरी की पूरी अवधि के दौरान दो बच्चों तक की देखभाल के लिए दो साल की छुट्टी का इस्तेमाल कर सकती हैं। छुट्टियां छोटे बच्चों की देखभाल के अलावा परीक्षाओं की तैयारियों और बीमारी में सेवा के लिए भी ली जा सकती है।
साथ ही बेंच ने कहा कि 730 दिनों के बाद भी चाइल़्ड केयर लीव यानी CCL बाकी बची छुट्टियों को मिला कर मिल सकती है। बेंच ने कहा कि कोलकाता हाई कोर्ट ने जिस नियम का हवाला दिया था वह न तो नियम 43-सी पर आधारित है और न सरकार की ओर से जारी निर्देशों पर। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट दौरा महिलाओं के पक्ष में लिया गया यह फैसला सभी महिलाओं को ख़ुशी देने वाला फैसला साबित होगा।