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झोपड़पट्टी में आग लगने से दर्जनों झोपड़ी स्वाहा

aपटना। गर्मी के दिनों में दोपहर समय में खाना बनाने पर पाबंदी है। इस बार तो रात में ही खाना बनाने के समय आग लगी। दर्जनों झोपड़ियां देखते ही देखते स्वाहा हो गईं। चारों तरफ से तटबंधों से घिरी रहने के कारण फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी जा नहीं सकी। अगर लोगों ने जल्दी से जल्दी आग पर काबू नहीं कर पाते तो मंजर कुछ ओर ही हो जाता।

…….और झोपड़ियां धू-धू कर जलने लगी: और झोपड़ियां धू-धू कर जलने लगी । एक साल पहले नई नवेली दुल्हन बनकर आयीं सर्वदेव महतो की पत्नी जान बचाने के ख्याल से झोपड़ी छोड़कर बांध की ओर भागी। कई बार बांध की ओर भागते समय वह राह में गिरी। दांत भी लॉक हुआ। रात में ही बांसकोठी में स्थित एक निजी चिकित्सक के पास ले जाकर दिखाया गया। उसे पानी चढ़ाया गया। बेसुध होकर मचान में सोने वाली बच्ची जल गयी। उसे मैनपुरा में ले जाकर दिखाया गया। एक भैस झुलस गयी। यह सब हादसा बिन्द टोली, दीघा में सवा घंटे तक चला। स्थानीय लोगों के सामूहिक प्रयास के कारण 90 मिनट के अंदर ही अगलगी समाप्त हो गयी। गंगा नदी और गड्ढे के पानी को पम्प मशीन से खिंचकर आग पर नियत्रंण पाया गया। मगर हमेशा के लिए दुःख छोड़ गया। तिनका-तिनका जोड़कर झोपड़ी खड़ा करने वाले मजदूर किस्म के लोग सड़क पर आ गए।

गुरूवार की रात आफत बनकर आयीः नकटा ग्राम पंचायत में बिन्द टोली पड़ता है। यहां के लोगों ने नियम बना रखा है कि चुंकि हमलोग झोपड़ी में रहते हैं। इस लिए गर्मी के दिनों में दोपहर समय में खाना नहीं बनाया जाए। ऐसा करने से संभावित अगलगी का खतरा को कम किया जा सकता है। इस बार आफत दिन में नहीं बल्कि रात में आ गयी। खाना बनाते समय चूल्हे से आग उठी और कुछ ही घंटे में झोपड़ियों को रात में तब्दील करके चली गयी। लाखों की संपति जलकर खाक हो गयी।

बिरजू महतो की दुकान खाकः काफी मेहनत करके बिरजू महतो दूकान खोल पाया था। बिन्द टोली के और नाविक लोग समान खरीद कर ले जाते हैं। सब समान जल गया। कोई 2 लाख रूपए का समान था। चौकी और 50 हजार रू0 जल गया। बस बिन्द टोली में कोहराम ही मच गया है। आलम यह है कि कई लोग रात के समय में भोजन बना ही रहे थे। इस बीच अप्रत्याशित हादसा हो गया। इधर-उधर रोटी गिरा देखा गया। लोग रात से ही भूखे रहे। अपनी आपबीती बयान करते रहे।

प्रभावित परिवार का नाम: प्रयाग महतो, सोमनाथ महतो, बिनेश्वर महतो, रामधनी महतो, शिवधन महतो, बिगन महतो, धमदी महतो,  सुरत महतो, रामधीरज महतो, दाहु महतो, बिरजू महतो, शिवबरत महतो, कामर महतो, सावर महतो, मुस्मात जानकी देवी, प्रेम सागर महतो, सर्वदेव महतो,राजमल महतो,सरोज महतो,सुद्धेश्वर महतो, गनौरी महतो, विशाल महतो और चेनारिक महतो।