17 फरवरी 2009 को सोनिया ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में यह जिक्र किया गया था के उसकी हर मिनट मौत हो रही है। इसलिए उसकी याचिका पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाए। सोनिया व संजीव का एक बेटा भी है और फिलहाल उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दादा-दादी के परिवार के साथ रहता है। राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद यह मामला एक बार गृह मंत्रालय जाएगा। वहां से फाइल फिर सेशन जज हिसार को भेजी जाएगी। वरिष्ट वकील लाल बहादुर खोवाल के का कहना है कि सेशन जज फांसी देने के लिए डेथ वारंट तारीख निर्धारित करेंगे।
अब से 22 वर्ष पहले राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी सिंह को उच्चतम न्यायालय द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व गांधी परिवार इस मामले में बीच में पड़ कर नलिनी सिंह को फांसी नहीं होने दी थी। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटित के पास पहुँची दया याचिका पर उन्होंने पैरवी की थी। राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज कर देने के बाद सोनिया को फांसी होना तय हो गया है, जो यह सजा पाने वाली देश की पहली महिला होगी।
इस केस पर काम कर रहे वकील लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि दोनों हत्यारों को फांसी की तारीख तय करने के लिए तय जून की तारीख से पहले अदालत में अर्जी लगाई जाएगी। उनका कहना है कि यह एक ऐतिहासिक केस था। प्रॉपर्टी की लालच में किए गए घिनौने अपराध की सजा फांसी ही होनी चाहिए। राष्ट्रपति के द्वारा लिए गए इस फैसले से न्याय की जीत हुई है। दूसरी ओर रेलूराम के भाई व निवेदक राम सिंह ने भी दया याचिका खारिज होने पर संतोष जताया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोनिया एक बार जेल से भागने की कोशिश भी कर चुकी है। पूर्व विधायक हत्या के मामले में अंबाला जेल में बंद सोनिया और संजीव ने पाकिस्तानी जासूस व कुछ अन्य कैदियों के साथ मिलकर सुरंग खोद कर भागने की कोशिश की थी। उनकी इस कोशिश में पाकिस्तान के साहिवाल के मसूद अख्तर, पश्चिम बंगाल के आनंद पिंटो व रालन गौड़ सहित कुछ अन्य कैदी भी शामिल थे। तब अंबाला के बलदेव नगर थाने में यह मुकदमा दर्ज किया गया था।