बने काबिल, खुद आएंगे आडियाः
थ्री इडियट’ में बिल्कुल सही कहा था कि आप सफलता का पीछा मत करो, काबिल बनो। आइडिया और सफलता झक मार कर आपके पीछे आएंगे। सफलता का पीछा करने वाले लोग आम होते हैं। आइडिया का रास्ता दीवानों का होता है। उसे जिंदगी के सेट पैटर्न पर जीकर हासिल नहीं किया जा सकता। आप अपनी आवश्यकताएं स्पष्ट करें। उन्हें ढूंढें। एडिसन, आर्किमिडिज का उदाहरण आपके सामने हैं। वे पूरी जिंदगी, अधिकांश समय एक मकसद के लिए जीते रहे। आप में यह कुव्वत होनी चाहिए कि आप एक सपने को हासिल करने की खातिर पूरी जिंदगी दांव पर लगा सकते हैं।
बढ़ाएं ऑब्जर्बेशन पॉवर:
किसी भी चीज के प्रति अपनी ऑब्जर्बेशन पॉवर में इजाफा करें। मैं अपना ही उदाहरण देना चाहूंगा। मैं चाहता तो करियर की खतिर कोई फील्ड चुन सकता था, लेकिन फिल्मों, कहानियों में मेरा दिल लगता था। मेरी क्रिएटिविटी संतुष्टी होती थी।
इमानदारी है जरूरीः
हर चीज को एक आयामी नहीं, बहुआयामी रूप में देखना शुरू करें। वह चीज या विषय विशेष किन-किन चीजों से कनेक्टेड है या सकती है, उन्हें एक्सप्लोर करें। यह काम एक दिन का नहीं है। सतत अभ्यास की जरूरत होती है। अपने मकसद को हासिल करने की खातिर ईमानदार प्रयास करते रहें। उसमें कोई खोट नहीं होनी चाहिए। वह जब तक पूरी तरह हासिल न हो, तक तक उसे पाने की कोशिश लगातार करते रहें।
सेंसिबल बनना है जरूरीः
आपको सेंसिबल भी होना पड़ेंगा, तभी आप किसी समस्या के समाधान के का आइडिया ढंूढ सकते हैं। यह हमारी मौजूद शिक्षा प्रणाली का तकाजा है, जो बचपन किताबों के बोझ तले और जवानी पैसे कमाने की खोज में बीत जाती है। सोचने की प्रक्रिया खत्म हो जाती है।
सिक्योरिटी है आइडिया की दुश्मनः
अगर आप सेक्योर्ड लाइफ जी रहे हैं या जीना चाहते हैं, तो आपको आइडिया मिलना मुश्किल है। एक चीज तो तय है कि जिंदगी को सुरक्षित कर या करने की धुन में आइडिया नहीं आ सकते । आप पैसे कमाने की मशीन बन कर रह जाते हैं। जीवन में रस नहीं है, क्योंकि रहस्य खत्म हो चुका है। हम सवाज कम करने लगे हैं। एक बने-बनाए ढांचे में जीने को मजबूर है। आइडिया उस सूरत में नहीं आने वाले।