ऐसे में सोलर एजेंसी संचालको द्वारा मनचाहा कोटेसन बना प्रतिनिधियों को मोटी रकम देकर पास करा ले रहे हैं और घटीया सोलर प्लेट ,घटिया बैटरी और घटिया लाईट के साथ-साथ उसमें प्रयोग होने वाला खम्भा भी बेहद घटिया क्वालिटी का इस्तेमाल किया जा रहा। जो कि चन्द दिनों में ही अपनी असलियत अपनी ही जुबानी बयाँ कर देता है।
राज्य के लगभग सभी पंचायतो में लगे सोलर लाईटो की हालत एक जैसी ही कही बैटरी खराब है, तो कही प्लेट तो कही लाईट खराब है, तो कही हवा का एक हल्का झोका प्लेट को पाईप सहीत उड़ा ले जाती है। ऐसे में प्रसासन के आलाधिकारी क्यों चुप बैठे हैं क्यो नहीं हो रही सोलरो की गुणवत्ता की जांच, क्या इसके लिए एजेंसी संचालको द्वारा कहीं आलाधिकारीयो को भी तो नहीं पहुँचाई गई है। क्योंकि यह अपने आप मे एक जांच का विषय है।